राजनांदगांव
5-6 दिन की देरी से मिल रही आरटीपीसीआर रिपोर्ट
हल्के लक्षण देखकर लोग होम आईसोलाईट होकर करा रहे इलाज
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 जनवरी। कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट में हो रही लेटलतीफी से लोगों की सेहत को लेकर अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बगैर लोग स्वयं यह जान नहीं पा रहे हैं कि कोरोना के उनमें लक्षण हैं या नहीं। पिछले कुछ दिनों के भीतर रिपोर्ट के लिए मारामारी की स्थिति बन गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर जांच की व्यवस्था की गई है। पिछले पखवाड़ेभर से लगातार मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। उनकी जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से सैम्पलिंग की जा रही है। जिले में लगातार कोरोना संक्रमित लोगों की प्रतिदिन 4 हजार से अधिक जांच की जा रही है। वहीं पड़ोसी जिले कवर्धा, बेमेतरा और बालोद से भी जांच के लिए सैम्पल पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग तय समय पर रिपोर्ट देने में पिछड़ रहा है। सैम्पलों की रिपोर्ट नहीं आने से संक्रमितों की स्थिति मानसिक रूप से खराब हो रही है। बिना रिपोर्ट कोरोना संक्रमण पर लोगों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। हालात ऐसे हैं कि 4-5 दिन के बाद आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आने तक मरीज होम आईसालेट से बाहर निकल रहे हैं। जिले में तीसरी लहर के बीच आरटीपीसीआर की जांच एकदम से बढ़ गई है। राजनंादगांव समेत पड़ोसी जिलों के सैम्पल बड़ी मात्रा में एकत्र होने से रिपोर्ट आने में बड़ी देरी हो रही है। खराब स्थिति का आंकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग को अपने सेंटरों को आरटीपीसीआर की सैम्पलिंग लेने में मनाही करनी पड़ रही है।
एक जानकारी के मुताबिक दूसरे जिलों से आ रहे सैम्पल से राजनंादगांव जिले के लोगों की कोरोना से जुड़ी रिपोर्ट में देरी हो रही है। अधिकांश मरीज होम आईसोलेट रहकर खुद का इलाज कर रहे हैं। यह भी सच है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवाईयां भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। यही कारण है कि आरटीपीसीआर की देरी के कारण लोगों की नाराजगी बढ़ी है।
स्वास्थ्य अमले का दावा है कि 24 घंटे स्वास्थ्यकर्मी पूरी जवाबदारी के साथ काम कर रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए।