राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 23 जनवरी। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा सुभाषचंद्र बोस जयंती के पूर्व संध्या पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
शुभारंभ अवसर पर प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने सुभाषचंद्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय सेे स्नातक करने के बाद सुभाष इंग्लैंड चले गए और 1920 में उन्होंने भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन नियुक्ति से पहले ही वे भारत लौट आए और भारत की स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। कलकत्ते में ‘‘प्रिंस ऑफ वेल्स’’ के शाही दौरे के विरोध करने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया।
विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि 1938 में सुभाषचंद्र बोस को हरिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, तब वे 41 वर्ष की आयु में सबसे कम आयु के अध्यक्ष बने। सुभाषचंद्र बोस का अपना अलग दृष्टिकोण था। उन्होंने जब देखा कि गांधी और कांग्रेस की मुख्य धारा को अपने तात्कालिक दृष्टिकोण से जोडऩे का उनका प्रयत्न सफल नहीं हो सकता, तब उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु देश के बाहर जाने का निर्णय लिया था। 21 अक्टूबर 1943 का दिन भारतीय इतिहास में अविस्मरणीय है। इस दिन नेताजी ने स्वतंत्र भारत की ‘‘अस्थायी सरकार की स्थापना की’’ इसमें 21 सदस्य थे। नेताजी ने आईएनए लोग का गठन किया था और सैनिको को ‘‘दिल्ली चलो’’ का नारा दिया था।
इस अवसर पर बसंतपुर थाना के टीआई राजेश साहू, डॉ. डीपी कुर्रे, डॉ. एचएस भाटिया, डॉ. केएन प्रसाद, प्रो. नूतन देवांगन, प्रो. संजय देवांगन, प्रो. विकास कांडे, प्रो. मंजरी सिंह, प्रो. संजय सप्तर्षि, प्रो. हेमंत नंदागौरी एवं डॉ. हेमलता साहू उपस्थित थे।