रायगढ़

नटवर स्कूल पूर्वजों की थाती, बदलाव बर्दाश्त नहीं
04-Mar-2022 3:05 PM
नटवर स्कूल पूर्वजों की थाती, बदलाव बर्दाश्त नहीं

हिंदी माध्यम ही रखने जिलाधीश से मिला प्रतिनिधि मंडल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता  
रायगढ़, 4 मार्च। 
अंचल की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर, गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए शासकीय किरोड़ीमल नटवर हाई स्कूल के हिंदी माध्यम को योजनाबद्व तरीके से बंद कर अंगे्रजी माध्यम स्कूल के रूप में संचालित करने को लेकर आक्रोशित शहर तथा जिलेवासियों ने स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा का गठन कर शासन प्रशासन के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद कर दिया है। दो दिनों से चल रहे धरना प्रदर्शन के बाद आज संघर्ष मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिला और अपनी बात रखी। लेकिन यहां उनकी बात बनती नजर नही आ रही है।

रायगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर शा. किरोड़ीमल नटवर हायर सेकेण्डरी स्कूल जो अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से अब तक प्रदेश के गिने चुने स्कूलों में शुमार रहा है। तीन मंजिला भव्य भवन, विशाल मैदान व्यवस्थित छात्रावास के अलावा छात्रों से संबंधित अलग अलग विषय की प्रयोगशाला इस शिक्षण संस्थान में समाहित रही है। इस ऐतिहासिक नटवर हाई स्कूल का निर्माण सन 1957 में उस वक्त हुआ था जब अंचल में बच्चों की पढ़ाई के लिए अध्ययन व्यवस्था नगण्य थी। इस भव्य स्कूल का निर्माण राजा से जमीन जनहित में लेकर आधुनिक रायगढ़ के शिल्पकार दानवीर सेठ किरोड़ीमल जी ने कराया था।

अगर इतिहास को खंगाला जाए तो रायगढ़ सियासत के महाराज नटवर सिंह की अल्पायु में निधन पश्चात राजपाट का कार्य उनके छोटे भाई चक्रधर सिंह ने संभाला था और रायगढ़ रियासत के महाराजा चक्रधर सिंह हुए। वरिष्ठजनों की मानें तो राजा चक्रधर सिंह की मंशा के अनुरूप ही नटवर हाई स्कूल का नामकरण हुआ चूंकि इस भव्य भवन का निर्माण सेठ किरोड़ीमल जी ने कराया था। इसलिए महराजा चक्रधर सिंह की सहमति से इस स्कूल का नाम सेठ किरोड़ीमल नटवर स्कूल रखा गया।

1957 से लेकर अब तक इस स्कूल में जिले के ही नही बल्कि अंचल की कई पीढिय़ों ने विघा अध्ययन किया अपने गुरूजनों से संस्कार के पाठ सीखे। देखते ही देखते नटवर स्कूल इतना लोकप्रिय हुआ कि दूर दराज के लोग भी यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। यहां यह कहना अतिस्योक्ति नही होगा कि यह स्कूल अपने समय का अंचल का सुप्रसिद्व गुरूकुल माना जाता था। सैकड़ो लोग तो इस स्कूल से ऐसे भी निकले जिन्होंने यहां पढ़ा भी और आगे चलकर युवा पीढ़ी को पढ़ाया भी। कई शासन प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन हुए तो कईयों ने उद्योग के क्षेत्र में झंडे गाडे। इस स्कूल से अध्ययन कर निकले वकील, डाक्टर, इंजीनियर, नेता, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देश प्रदेश व समाज की सेवा आज भी कर रहे हैं। विज्ञान विषय के भी छात्र राष्ट्रीय स्तर पर इस स्कूल का नाम रोशन कर चुके हैं।

मगर अब इस स्कूल के नामकरण और माध्यम को लेकर प्रशासन योजनाबद्व तरीके से काम कर रहा है जिसकी शहर व अंचल वासियों ने मुखालफत शुरू कर दी है और इस विरोध के स्वर को लगातार जन समर्थन मिल रहा है। शहरवासियों ने इस स्कूल के अस्तित्व और इतिहास को बचाने कमर कसते हुए स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा का गठन किया है। इस बैनर तले स्टेशन चैक, पोस्टआफीस के सामने पिछले तीन दिनों से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इसी क्रम में आज तीसरे दिन स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर देवेन्द्र प्रताप सिंह की अगुवाई में करीब 40 लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल शाम 4 बजे कलेक्टेऊट पहुंचा और कलेक्टेऊट सभाकक्ष में जिलाधीश भीम सिंह के समक्ष अपनी बात रखी। पूर्व विधायक विजय अग्रवाल ने इस दौरान संघर्ष मोर्चा की ओर से कहा कि हमे नटवर हाईस्कूल में अंगे्रजी माध्यम नही चाहिए।

अगर आपको अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना है तो उसे किसी दूसरी जगह पर खोला जावे। उन्होंने कहा कि हम किसी भी स्थिति में अपनी ऐतिहासिक धरोहर के साथ खिलवाड नही होनें देंगे। इसके अलावा मोर्चा अध्यक्ष देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इस तरह की मंशा उनके पूर्वजों के अपमान करने जैसा है जिसका वे शहर के नागरिकों को साथ में लेकर पूरजोर विरोध करते हैं। संघर्ष मोर्चा के नेता जयंत बोहिदार ने इस दौरान कहा कि नटवर स्कूल परिसर में किसी भी कीमत पर आत्मानंद के नाम से अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित करने का वे तथा शहर के नागरिक पुरजोर विरोध करते हैं। शासन यदि चाहे तो किसी और जगह पर अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित कर सकता है।

मगर नटवर स्कूल में हिंदी माध्यम स्कूल का ही संचालन हो। उन्होंने जिला प्रशासन पर इस मामले में दोहरा माफदंड अपनाने का भी आरोप लगाया। बैठक के दौरान रिटायर्ड प्रोफेसर एम.एस. खनूजा, नगर निगम नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी, सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा व सुरेन्द्र पाण्डेय ने भी अपनी अपनी बात रखी। इस बैठक में प्रतिनिधि मंडल की ओर से वरिष्ठ पार्षद कौशलेष मिश्रा, दिबेश सोलंकी, श्रवण सिदार, रविन्दर भाटिया, अनुपम पाल, रवि भगत, ज्ञानेश्वर सिंह गौतम, साहू समाज के अध्यक्ष डिग्रीलाल साहू, सूरज शर्मा, नेहा देवांगन, निखिल अग्रवाल, सुरेन्द्र निषाद, भागीरथी सारथी,  सुनील तिथानी, शरबजीत सिंह, पूजा चैबे सहित सत्यविंदर सिंह भाटिया आदि उपस्थित थे। जिलाधीश से वार्ता विफल होनें के बाद स्कूल बचाओ संघर्ष मोर्चा ने आंदोलन को जारी रखने की बात कही है।

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