बस्तर

प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल- केदार आदिवासी समाज उपेक्षा का शिकार
28-Mar-2022 10:00 PM
प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल- केदार आदिवासी समाज उपेक्षा का शिकार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 28 मार्च।
पूर्व मंत्री और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा कि सुकमा जिले में आदिवासी समाज के उग्र प्रदर्शन के 48 घंटे के बाद भी शासन-प्रशासन नींद से नहीं जागा है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की इससे बड़ी विफलता और क्या होगी, जब कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा व प्रशासनिक दबाव के बावजूद सुकमा जिले के 15 हजार से ज्यादा आदिवासी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्टोरेट का घेराव तक कर दिये।

जारी विज्ञप्ति में श्री कश्यप ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, कि दूर-दराज के आदिवासी अपनी जायज मांगों को लेकर सारी बाधाएं तोड़ते हुए कलेक्टर के चैंबर के बहुत नजदीक तक पहुंच गये थे। सुकमा जिले में भ्रष्टाचार तो सुना ही था, लेकिन जिस तरह से आदिवासी समाज की उपेक्षा की जा रही है, उसका खामियाजा पूरे बस्तर संभाग में कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा। सुकमा कलेक्टर द्वारा आदिवासी समाज की उपेक्षा कोई बड़ी बात नहीं है, पूरे छत्तीसगढ़ में इस तरह का वातावरण निर्मित किया गया है।

श्री कश्यप ने कहा कि जैसी जानकारी मिली है कि सुकमा कलेक्टर सहित कई स्थानों पर तो बकायदा किससे मिलना है किससे नहीं, इसकी सूची तक जारी हुई है। सुकमा में जिस तरह से बाप-बेटे का आतंक है, उसी का ये जीता जागता उदाहरण है। दोनों के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वे किससे मिलेंगे, किससे नहीं। इससे पूर्व में भी विपक्ष के कुछ युवा साथियों से भी कलेक्टर ने दहशत के चलते मिलने से इंकार कर दिया था, जबकि वे सभी बेरोजगारों की समस्या को लेकर ज्ञापन देना चाहते थे। सुकमा जिले में किसी भी निर्माण कार्य की स्वीकृति से पूर्व कमीशन दर 10 से 15 फीसदी भी फिक्स है, और यही सब कारण है कि सुकमा व रायपुर के बंगले से कलेक्टर व एसपी को रिमोट के माध्यम से चलाया जा रहा है।

सुकमा जिले में पदस्थ डीएमसी श्याम चौहान पर कई बड़े गंभीर प्रमाणित आरोप आदिवासी समाज द्वारा लगाये गये हंै। एक शिक्षक द्वारा कलेक्टर से भी ज्यादा पॉवर रखने का आरोप हजारों आदिवासियों ने अपने ज्ञापन में लगाया है। बावजूद इसके, स्थानीय मंत्री का संरक्षण होने के कारण उसे हटाया नहीं जा रहा है।

श्री कश्यप ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद ऐसे लोगों को चिन्हांकित कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शासन को चाहिए कि आदिवासी समाज के सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए समय सीमा के भीतर कार्रवाई करें जिससे कि भविष्य मे होने वाले आक्रोश से बचा जा सके।

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