बस्तर

आदिवासी समुदाय ब्राह्मणीय हिन्दूत्व की जाति व्यवस्था का हिस्सा नहीं...
30-Mar-2022 1:46 PM
आदिवासी समुदाय ब्राह्मणीय हिन्दूत्व की जाति व्यवस्था का हिस्सा नहीं...

नक्सलियों ने फेंके पर्चे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 30 मार्च।
बीजापुर जिले के भोपालपटनम तहसील में पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी, भाकपा (माओवादियों) द्वारा एनएच-63 पेगड़ापल्ली से सण्डरापल्ली के भट्टीगुड़ा के बीच पर्चे फेंके गए।

पर्चे में हम आदिवासी, ब्राह्मणीय हिन्दूत्व जाति व्यवस्था का हिस्सा नहीं है। हम आदिवासी मूलनिवासी, प्रकृति पूजक होने के कारण हमारा धर्म, आदिवासी धर्म है, इसलिए हमें अलग धर्म कोड चाहिए, इस विषय को लेकर आदिवासी समुदाय द्वारा जल-जंगल- जमीन पर अधिकार, आत्मसम्मान और अस्तित्व के लिए संघर्ष जारी रखा है। आदिवासी समुदाय द्वारा अलग से जनगणना में धर्म कोड रखना जनवादी अधिकार है। पौराणिक कथाओं , शिलालेखों, भोजपत्रों में आदिवासी समुदाय का उल्लेख है। आदिवासी द्रविड़, बौद्ध धर्म ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि आदिवासी और द्रविड़ का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस इतिहास को ब्राह्मणों द्वारा तोड़ मरोड़ कर लिखा गया है।

ब्राह्मणीय हिन्दूत्व की वर्ण, जाति व्यवस्था और सामंतवादी समाज का उद्भव अंग्रेजी हुकूमत के समय से प्रारंभ हुआ। मूलनिवासी आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक है। हिन्दू नहीं. ब्राह्मणीय हिन्दूत्व, संघ- भाजपा की  नया भारत और ब्राह्मणीय वर्चस्व की विचारों का विरोध में वैचारिक और राजनैतिक संघर्ष जारी रखें।

1- आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक है, आदिवासी समुदाय हिन्दू नहीं है।
2- आदिवासी समुदाय, ब्राह्मणीय हिन्दूत्व के जातिवाद का हिस्सा नहीं है।
3- आदिवासी समुदाय को जनगणना से अलग आदिवासी धर्म कोड की मांग, आदिवासी समुदाय का आत्मसम्मान एवं जनवादी मांग है।
4- जल-जंगल- जमीन और आत्मसम्मान के लिए जुझारू संघर्ष जारी करो।

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