राजनांदगांव
मोहला-मानपुर के बाशिंदों को सौगात में मिलेगा नलों से स्वच्छ जल
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 22 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। हर व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की अवधारणा लेकर जिले में शुरू हुई जल-जीवन योजना ‘मिशन’ का रूप ले चुका है। 2018 से शुरू हुआ जल-जीवन योजना अब आखिरी दौर में पहुंच गया है। जिले की विषम भौगोलिक परिस्थिति का परवाह किए बगैर ग्रामीण स्वास्थ्य यांत्रिकी महकमे ने तय मियाद के करीब मोहला-मानपुर के हर गांव में पेयजल के लिए पाईप लाइन बिछा दी है। राजनांदगांव जिले से अलग होने वाले मोहला-मानपुर को पृथक होने पर सौगात के रूप में स्वच्छ जल नलों से मिलेगा। यह एक अभूतपूर्व कदम है। जिसमें अब तक विपरीत मौसम में नलकूप और कुंओं जैसे पारंपरिक जलस्रोत पर टिके बाशिंदों को घरों के दहलीज में स्वच्छ जल की धार बहती मिलेगी।
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त मुहिम से हर आदमी को साफ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य को पीएचई का जमीनी अमला सफलतापूर्वक अंजाम दे रहा है। मोहला-मानपुर का एक बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र से घिरा हुआ है। ऐेसे में मैदानी गांव के तुलना में बीहड़ों में साफ पानी की उपलब्धता एक कठिन चुनौती रही है। इस योजना के अंतर्गत गांव में लंबी पानी की टंकियां खड़ी हो गई है। नलकूप के पानी का भराव करने के बाद घरों तक नलों के जरिये स्वच्छ पानी पहुंचने लगा है। पीएचई के अफसरों का मानना है कि मोहला-मानपुर का एक बड़ा हिस्सा बिजली कटौती भी झेलता है। वैकल्पिक रूप से पानी की सप्लाई के लिए सोलर प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। इसके लिए के्रड़ा के अफसरों की एक विशेष टीम भी चिन्हांकित गांव में सोलर ऊर्जा उपलब्ध करा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक पृथक हो रहे मोहला-मानपुर के तीन ब्लॉक अंबागढ़ चौकी में 152, मोहला में 169 और मानपुर में 171 गांव को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए चुना गया है। ज्यादातर गांव में पाईप लाइन बिछ चुकी है। इस तरह समूचे मोहला-मानपुर जिले में 492 गांव को अगले कुछ महीनों में घरों में ही पानी मिलने लगेगा।
इस संबंध में पीएचई के ईई एसएन पांडे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की महत्वकांक्षी जल-जीवन योजना को मूर्त रूप देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। जमीनी स्तर पर कार्य की नियमित निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मोहला-मानपुर को स्वच्छ पेयजल मिलने लगेगा। इस बीच तीनों ब्लॉक के घोटिया, साल्हे, खडग़ांव, भोजटोला, कहगांव बस्ती, चवेला, फूलकोंडा समेत दर्जनों गांव में आबादी के अनुसार टंकियों का निर्माण भी हो रहा है। जिसमें अलग-अलग गांव में अधिकतम 60 हजार लीटर की पानी टंकियां निर्माणाधीन है। टंकियों के निर्माण की अधिकतम ऊंचाई भी लगभग 15 मीटर है। वहीं बिजली कटौती के दौरान सोलर प्लांट से पानी की निर्बाध आपूर्ति भी हो रही है। बताया जा रहा है कि घर के अंदर डेढ़-डेढ़ मीटर का प्लेटफार्म भी बनाया गया है। योजना के तहत ग्रामीणों की प्यास बुझाने से लेकर निस्तारी तक की भी पानी की व्यवस्था विभागीय अफसरों द्वारा की जा रही है। इस तरह गांव में नलों से पानी की आपूर्ति का ख्वाब भी ग्रामीणों का पूरा हो रहा है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
जल-जीवन योजना से ग्रामीण तबके की सालों पुरानी स्वच्छ पानी नहीं मिलने की समस्या को दूर कर दिया है। पारंपरिक जलस्रोतों के भरोसे रहने वाले ग्रामीणों को अब साफ पानी मिलने लगा है। घोर नक्सल प्रभावित भोजटोला के आश्रित ग्राम बम्हनी के रहने वाले लक्ष्मण सिंह हेड़ामे गांव के पटेल हैं। उनका कहना है कि घरों में पानी की सप्लाई होने से महिलाओं की पानी भरने के मानसिक दबाव को खत्म कर दिया है। गांव में नलकूप और कुंओं से पानी भरने के लिए महिलाएं और युवतियां ही समस्या का सामना करती थी। अब घर के अंदर नल से पानी की धार बहते देखकर महिलाओं के सिर से एक बड़ा भार कम हो गया है। लक्ष्मण सिंह कहते हैं कि मीठा पानी पीना अब सुहाने लगा है। वहीं घर के अंदर ही निस्तारी भी होने से महिलाओं और दूसरे सदस्यों को काफी सहुलियत मिली है।
निगरानी समिति ले रही जानकारी
जल-जीवन योजना के लिए कलेक्टर की अगुवाई में एक निगरानी समिति जमीनी रिपोर्ट ले रही है। इसके लिए समिति के सदस्य जिले के अलग-अलग इलाकों का बकायदा दौरा कर रहे हैं। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने योजना की सार्थकता को सिद्ध करने के लिए डिप्टी कलेक्टर इंदिरा देवहारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। वहीं केंद्र सरकार के निर्देश पर सांसद संतोष पांडे योजना की सीधी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य बिसेसर साहू को जिम्मेदारी दी है। इस तरह पीएचई के ईई एसएन पांडे अपने मातहत अफसरों अंबागढ़ चौकी के एई एचके शेंडे और मोहला के एई श्री शर्मा के साथ योजना को सशक्त रूप देने के लिए नियमित तौर पर दौरा और निगरानी कर रहे हैं।