रायपुर

जीवन की सबसे बड़ी सफलता हर दिन सार्थक करना-राष्ट्र संत ललितप्रभजी
20-Jul-2022 3:05 PM
जीवन की सबसे बड़ी सफलता हर दिन सार्थक करना-राष्ट्र संत ललितप्रभजी

रायपुर, 20 जुलाई। ‘‘जरा सोचें, सालभर में सबसे अच्छा दिन कौन सा है। तो वह है आज का दिन। आज के दिन का जितना सदुपयोग कर सकें कर लें। क्योंकि आज का दिन प्रभु का दिया प्रसाद है। जो दिन बीत गया वो अतीत है, जो दिन आने वाला है, वह भविष्य का स्वप्न है। सिर्फ और सिर्फ आज का दिन ही आपका अपना है। एक बात मान कर चलना जो कर्मशील है, जिसे परमात्मा पर विश्वास है उसके लिए सप्ताह के सातों दिन अच्छे हैं।

कभी कोई अच्छा काम कल पर मत छोड़ें, उसे आज ही कर लें। अपने जीवन के हर पल का सार्थक उपयोग करें। रात को जब सोएं तो यह चिंतन करें कि आज के दिन का मैंने कितना सार्थक और सकारात्मक उपयोग किया। असल में आदमी की उम्र वह नहीं होती, जितने दिन वह जीता है, आदमी की उम्र वह होती है जितने दिनों को वह सार्थक बनाकर जीता है।’’

ये उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग ‘जीने की कला ’ के अंतर्गत युवाओं के लिए जारी व्यक्तित्व विकास सप्ताह के द्वितीय दिवस मंगलवार को कहीं। ‘लाइफ मैनेजमेंट: सफल जीवन की नींव’ विषय पर जनसमूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- आदमी यदि अपने जीवन का सही मैनेजमेंट करना सीख लेता है तो वह एक ही जीवन में सौ-सौ जीवन के बराबर कार्य करने में सक्षम हो सकता है।

संपूर्ण ब्रह्माण्ड में अगर सबसे बेशकीमती यदि कोई चीज है तो वह है आदमी की अपनी जिंदगी। जिसके सामने दुनिया का कोई वैभव नहीं टिक सकता। अगर जिंदगी है तो इस पूरी दुनिया का महत्व है। इस पूरी दुनिया की कीमत कितनी-आंख बंद करो जितनी।  
रात को सोते हुए देखे सपने सुबह आंख खुलते ही टूट जाया करते हैं और दिन के उजाले में देखे हुए सपने तब टूटते हैं जब आंख सदा के लिए बंद हो जाया करती है।
‘जिंदगी जीने का मकसद खास होना चाहिए। अपने आप-पर हमें विश्वास होना चाहिए।  जीवन में खुशियों की कमी नहीं है, बस उन्हें मनाने का अपना अंदाज होना चाहिए।’

यह जीवन परम पिता का दिया वरदान है
उन्होंने आगे कहा- आदमी अगर जीवन को बेहतरीन तरीके से जीना सीख ले तो इससे बड़ा कोई स्वर्ग नहीं हो सकता। हमारा जीवन परम पिता परमेश्वर का दिया वरदान है। हम इसे अभिशाप बनाते हैं या विशाद बनाते हैं या इसे प्रसाद मानकर स्वीकार करते हैं, तय हमें करना है। कोई आपको बुरा कह रहा है, आप पर टिप्पणी कर रहा है तो बुरा मत मानिए। क्योंकि जिसकी जिंदगी कुछ खास होती है।
 

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