रायपुर
![जगत में व्यक्ति प्रशंसा का भूखा-आचार्य विशुद्ध सागर महाराज जगत में व्यक्ति प्रशंसा का भूखा-आचार्य विशुद्ध सागर महाराज](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1658473615mage.jpg)
रायपुर, 22 जुलाई। सन्मति नगर फाफाडीह में जारी चातुर्मासिक प्रवचन माला में गुरुवार को आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि संसार में पेट से बड़ा पेट कान का होता है। व्यक्ति भोजन को मना कर सकता है,लेकिन अपनी और अपनों की प्रशंसा के लिए कभी मना नहीं करता है।
लाखों-करोड़ों कमाने वाला व्यक्ति लाखों-करोड़ों खर्च कर सकता है, लेकिन प्रशंसा होनी चाहिए। यह जगत विचित्र है। व्यक्ति मात्र अपनी प्रशंसा सुनने के लिए पूछ रहा है बुराई सुनने के लिए कोई नहीं पूछता।
इसलिए जब भी कोई आपसे पूछे मेरा जीवन कैसा है, यदि आपने सत्य बता दिया तो वह व्यक्ति आपका दुश्मन हो जाएगा। पहले उस आदमी को पहचान लेना, वह सत्य पूछना चाहता है या असत्य पूछना चाहता है।
आचार्यश्री ने कहा कि जगत में सब नशवर है तो इन पर्याओं को बचाने के पीछे फिर ममत्व कैसा? इस देह से जब जाना ही है तो जीते जी दूसरों को क्यों परेशान करना। सुख से जियो और जीने दो।
आपकों किसी ना किसी में दोष दो दिखता है,लेकिन दुनिया में सबसे बड़ा दोष तुम देख नहीं पा रहे हो। हर व्यक्ति को मरण करना पड़ता है,इसलिए इस देह से अलग होने से पहले,पर्याओं का विनाश होने से पहले परिणामों को संभाल लो।
जिनसे कहासुनी हो चुकी है उनसे हाथ जोडक़र क्षमा मांग लो। देह बचाना धर्म नहीं,संपत्ति बचाना धर्म नहीं, लेकिन परिणाम संभालना धर्म है।
आचार्यश्री ने कहा कि जो जन्मा है उसका मरण होगा। जिसका मरण हुआ है उसका जन्म होगा। जब तक कर्म का अंत नहीं होता तब तक संसार में ऐसा ही चलेगा।
जैसे नए वस्त्र मुस्कुराकर पहनते हो और पुराने वस्त्र मुस्कुरा कर छोड़ देते हो,ऐसे ही इस देह से विदा हो तो मुस्कुरा कर जाना,रो कर मत जाना। मुस्कुरा कर जाना समाधि मरण है और रोकर मरना कुमरण है। जीवन में ऐसा जिओ कि मुस्कुरा कर जाओ।
मुनि सर्वार्थ सागर ने मंगल प्रवचन में कहा कि सिर्फ जिनवाणी सुनने से कल्याण नहीं होगा। जिनवाणी सुनकर उसे अपने जीवन में उतारना होगा।
मुनिश्री ने कहा कि जो भी कार्य करोगे उसमें दो कारण होते हैं पहला अंतरंग और दूसरा बहिरंग। अंतरंग मूल कारण होता है और बहिरंग सहकारी कारण होता है।
आचार्य भगवंत सहकारी कारण है और हम मूल कारण है। यदि हमारे अंदर योग्यता नहीं है तो आचार्य भगवंत कितना भी हमें पढ़ाएं और समझाएं व्यर्थ होगा। आचार्य भगवंत साइन बोर्ड की तरह है जो इंगित करते हैं, चलना हमारे को है। यहां 4 माह की जो देशना हो रही है उसे अमल करें, अपने जीवन में उतारें।
विशुद्ध वर्षा योग समिति के उपाध्यक्ष संजय नायक,पुष्पेंद्र जैन व सह सचिव ललित अजमेरा ने बताया कि आज मंगलाचरण विक्रांत काला जयपुर ने किया। दीप प्रज्वलन व आचार्यश्री को श्रीफल अर्पित कर विजय गंगवाल, कन्हैयालाल बैद,शांतिलाल संगोई, प्रकाशचंद चोपड़ा, बीएल जैन, देवानंद बराडिया, योगेंद्र भंडारी, राजकुमार अग्रवाल, मानवेंद्र दफ्तरी, कांतिलाल गोलछा, नेमीचंद भंसाली, कोमलचंद चोपड़ा ने किया। मंच का संचालन अरविंद जैन व दिनेश काला ने किया। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी गुरु भक्तों ने आचार्यश्री को अर्घ्य समर्पण कर आशीर्वाद लिया। जिनवाणी मां की स्तुति प्रतिष्ठाचार्य पंडित अजीत शास्त्री रायपुर ने की। अपने जन्मदिन के अवसर पर विशुद्ध वर्षा योग के शिरोमणि संरक्षक सुधीर बाकलीवाल ने आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद लिया।