रायपुर
![महिला आयोग को गिरफ्तारी के अधिकार की जरूरत नहीं, पुलिस ठीक काम कर रही-डा. नायक महिला आयोग को गिरफ्तारी के अधिकार की जरूरत नहीं, पुलिस ठीक काम कर रही-डा. नायक](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1658498840251.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 जुलाई। डॉ. किरणमयी नायक की महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में डा. किरणमयी नायक ने दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर डॉ. नायक ने पत्रकारों से चर्चा की। आयोग को गिरफ्तारी के आदेश का अधिकार दिए जाने के प्रश्न पर डॉ. नायक ने ऐसे मामलों में पुलिस विभाग की भूमिका पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम सही तरीके से कर रही है। हम उन्हें आदेश दे देते हैं, बता देते हैं कि किसे गिरफ्तार करना है। पुलिस उसे समय पर गिरफ्तार कर लेती हैं। इसलिए अभी आयोग को इसका अधिकार देने की जरूरत नहीं।
सीएम का आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं, कि महिला आयोग में बहुत ही सशक्त महिलाओं को सदस्य की जिम्मेदारी दी गई है। चार सदस्यों के साथ आयोग मुख्यमंत्री बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ में महिलाओं को न्याय देने, सशक्त करने तथा जागरुकता बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। डा. नायक ने बताया कि इन 2 वर्षों में संपूर्ण छत्तीसगढ़ का दौरा और प्रत्येक जिले में जन सुनवाई भी की। कुल 124 जन सुनवाई में 2 हजार 737 प्रकरणों में से 846 मामले की पूर्णत: निरकृत कर नस्तिबद्ध किए गए।
डॉ. नायक ने कहा कि देश के दूसरों राज्यों से छत्तीसगढ़ का महिला आयोग बहुत ही अलग है। उन्होंने बताया कि अन्य दूसरे राज्यों में इतनी जन सुनवाई नहीं होती जितनी यहाँ होती हैं। डॉ. नायक ने कहा कि आयोग को सिविल कोर्ट का अधिकार प्राप्त है। गिरफ्तारी के आदेश पर डॉ. नायक ने बताया कि पुलिस विभाग अपना काम सही से कर रही है। हम उन्हें आदेश दे देते हैं, बता देते हैं कि किसे गिरफ्तार करना है। पुलिस उसे समय पर गिरफ्तार कर लेती हैं। इसलिए अभी आयोग को इसका अधिकार देने की जरूरत नहीं।
महतारी न्याय रथ 28 से
महिलाओं की विधिक संरक्षण और जागरूकता के लिए बहुप्रतिक्षित ‘‘मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ’’ यात्रा राज्य के सभी जिलों में भ्रमण करेगी। इसकी शुरूआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 28 जुलाई को हरेली के दिन हरी झण्डी दिखकर रवाना करेगें।
हाईकोर्ट में 21 फैसलों को ही चुनौती
महिला आयोग के न्याय से आमजन संतुष्ट है जुलाई 2020 से अबतक हाईकोर्ट में सिर्फ आयोग के 21 प्रकरणों को चुनौती दिया गया जिसमें 10 प्रकरण आयोग के पक्ष में फैसला आया है और 11 प्रकरण अभी लंबित है। अभी तक उच्चन्यायालय ने आयोग के खिलाफ कोई भी आदेष नही दिया है।