रायपुर

सफलता के शिखर तक ले जाती है सकारात्मक सोच: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी
25-Jul-2022 6:32 PM
सफलता के शिखर तक ले जाती है सकारात्मक सोच: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी

रायपुर, 25 जुलाई। ‘‘जीवन के विकास और सफलता के लिए जब दुनिया के सारे मंत्र निष्फल हो जाते हैं, तब एक मंत्र निकलकर आता है- सकारात्मक सोच। जो लोग कल तक जमीन पर भी नहीं चल पाते थे, उन्हें आकाश में यदि किसी ने उड़ाया है तो उसका बड़ा कारण है उनकी बड़ी सोच।

 वे लोग हिमालय से भी ज्यादा उुंचे हुआ करते हैं, जिनकी सोच बड़ी हुआ करती है। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च में भगवान अलग-अलग रूपों में रहते हैं पर जहां आदमी की सोच निर्मल हुआ करती है, वहां सारे भगवान रहा करते हैं। जिंदगी में सबसे बड़ी दौलत अगर कोई है तो वह है अच्छी सोच। बड़ी सोच रखने वाला इंसान के चोले में भगवान होता है। पॉजीट्वि थिंकिंग दुनिया का सबसे बड़ा महामंत्र है।’’

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग ‘जीने की कला’ के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास सप्ताह के सातवें दिन रविवार को ‘पॉजीटिव थिंकिंग से बनाएं जीवन को स्वर्ग’ विषय पर व्यक्त किए।

बड़ी सोच का बड़ा परिणाम

संतप्रवर ने कहा कि टूटे संबंधों को जोडऩे, व्यापार का घाटा सहने, समाज में पड़ी दरारों को दूर करने, आपस में बनी दूरियों को कम करने इन सबका एक ही उपाय है आदमी की बड़ी सोच, उसकी पॉजीट्वि सोच। क्योंकि बड़ी सोच का बड़ा परिणाम होता है।

भगवान श्रीमहावीर ने हमें अनेकांतवाद का सिद्धांत दिया है, वह हमें इसी ओर इंगित करता है कि अपनी सोच सदैव बड़ी रखें। जिस तरह लोहे को उसके भीतर लगा हुआ जंग ही उसे बरबाद कर देता है, उसी तरह आदमी को और कोई नहीं उसकी छोटी सोच ही उसे ले डूबती है।

माना कि जिंदगी में समस्याएं बहुत खड़ी हैं पर जिंदगी की बाजी वही जीता करते हैं, जिनकी सोच बड़ी होती है। आज मैं झोली फैलाकर आप सबसे यही मांगता हूं कि हम यह संकल्प करें कि पूरी जिंदगीभर बड़ी सोच लेकर जीएंगे। और यह भी संकल्प लें कि अपनी छोटी सोच के कारण कभी भी बिखराव का वातावरण नहीं बनाएंगे।

बड़ी सोच वाले भाई-भाई कभी अलग नहीं होते

संतश्री ने कहा कि जहां बड़ी सोच होगी, वहां कभी भी समाज में विघटन, पड़ोसी से अनबन, परिवार में बिखराव, संबंधों में दूरी नहीं हो पाएगी। परिवार के बीच बड़ी सोच रखने वाले भाई-भाई कभी अलग नहीं होते। भाई-भाई अलग तब हो जाते हैं जब उनकी सोच छोटी हो जाती है।

रावण ने श्रीराम से मरते वक्त यही कहा था कि मैंने जिंदगीभर नहीं सोचा था कि मैं इतना शक्तिशाली, वैभवशाली होकर भी कभी युद्ध हार जाउुंगा।

तुम इसीलिए जीत गए कि तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ था और मेरा भाई मेरे नहीं तुम्हारे साथ था।

ये है भाई-भाई के प्रेम की ताकत। जो बड़ी सोच के मालिक होते हैं वे बड़े से बड़ा नुकसान उठाकर भी अपने संबंधों को कभी खोते नहीं हैं।

अगर आपको लगता है कि मैं जिंदगीभर के लिए अपनी सोच को बड़ा नहीं रख सकूंगा तो आप एक साल के लिए अपनी सोच बड़ी बनाए रख कर देखिए। यदि इतना भी नहीं कर सकते तो एक महीने के लिए, एक सप्ताह के लिए, एक दिन के लिए, एक घंटे अथवा एक मिनट के लिए अपनी सोच को बड़ा करके तो देखिए आपको तत्काल सकारात्मक परिणाम मिल जाएगा। जिस समय कोई माहौल बिगड़ा हुआ हो तब केवल 30 सेकंड के लिए अपनी सोच बड़ी बना लो, तुम जीवन की बाजी जीत जाओगे।

पॉजीटिव थिंकिंग से खुलते हैं सफलता के द्वार

पॉजीट्वि थिंकिंग का सिद्धांत असफल व्यक्ति के जीवन में भी सफलता के द्वार खोल देता है। इस कथन को दोहराते हुए संतश्री ने श्रद्धालुओं से आह्वान कर कहा कि घर जाकर सुबह प्रार्थना करने बैठें तो ईश्वर से कहना कि हे ईश्वर जिससे मेरी अनबन है-झगड़ा चल रहा है, तू उसका भला कर, तू उसे अच्छी बुद्धि दे। आपकी यह बड़ी सोच, बड़ा नजरिया, आपकी यह पवित्र भावना कमाल जरूर करेगी। जब भी हम सकारात्मक सोच के मालिक बनते हैं, हमारे भीतर ईश्वर का वास होता है। लेकिन जहां सोच छोटी हो वहां क्रोध, ईष्र्या, चिंता, दुराग्रह, नकारात्मकता, संदेह, नकारात्मक नजरिया आदि सब पैदा होने लगते हैं। सोच ही यदि छोटी हो तो आपको 56 भोग भी फीके लगने लगते हैं। आज से हम इस मंत्र को अपने जीवन में जोड़ लें कि अपनी सोच को हम सदा बड़ा बनाए रखेंगे। अक्सर आदमी अपने दुख से नहीं पर दूसरों के सुख से ज्यादा दुखी हुआ करता है। जीवन के 95 परसेंट दुख हमें उुपर वाले ने नहीं दिए हैं, हमने उन्हें खुद पैदा किया है। पहले मकान छोटे हुआ करते थे और आदमी का दिल बड़ा हुआ करता था, आज लोगों के मकान बड़े हैं पर उन बड़े मकान में रहने वालों का दिल छोटा हो गया है। घर को स्वर्ग बनाने के लिए महंगे फर्निचर, महंगे लाइट्स, महंगे आभूषणों की नहीं केवल बड़ी सोच की जरूरत है।

पॉजीटिव थिंकिंग का मालिक बनने इन सिद्धांतों पर करें अमल

संतप्रवर ने कहा कि याद रखें कि विपरीत दिन सबकी जिंदगी में आते ही हैं, आज तक कोई भी ऐसा नहीं है, जिसके जीवन में समस्याएं न हों। समस्याओं से पार लगने जो अपनी पॉजीट्वि थिंकिंग को बनाए रखता है जीवन में सफल वही होता है। बड़ी सोच का मालिक बनने के लिए पहला सिद्धांत है- अपने दिमाग को हमेशा ठंडा रखें। आपकी प्रगति में यदि कोई सबसे बड़ा बाधक है तो वह है आपका गर्म मिजाज। दूसरा सिद्धांत है- पानी से आधे भरे गिलास को हमेशा आधा खाली नहीं अपितु आधा भरा हुआ देखें। तुम्हें जो भी मिला है, वह तुम्हारे भाग्य से ज्यादा मिला है और जो जहां पहुंचा है, वहां वह अपनी किस्मत, अपने सत्कर्मों से पहुंचा है। तीसरा सिद्धांत है- विपरीत वातावरण आने पर भी धैर्य व शांति को बनाए रखें। चैथा है- बुरा करने वाले का भी भला करें, पांचवा- कोई भी निर्णय व्यग्रता से नहीं शांति से करें, स्वयं के आवेश पर नियंत्रण रखें। छठवां- सामने वाले में कमियां नहीं बल्कि उसकी खूबियां देखें। सातवां- कभी भी टेढ़े मत बनें अर्थात् हमेशा विपरीत बात बोलने की वृत्ति का त्याग करें और पॉजीट्वि थिंकिंग के मालिक बनने का आठवां सिद्धांत है- भगवान जो करता है सो अच्छा करता है। इस सत्य पर सदा विश्वास रखें।

आरंभ में श्रद्धेय संतश्री ने राष्ट्रीय संत श्रीचंद्रप्रभजी रचित गीत ‘जैसा सोचेंगे जीवन में वैसा ही बन जाएंगे, अच्छा सोचेंगे तो अच्छा, बुरी सोच से बुरा बनेंगे...’ के गायन से श्रद्धालुओं को जीवन में सदा उुंची व सकारात्मक सोच बनाए रखने की प्रेरणा दी।

जीवन के हर क्षण का करें सदुपयोग: डॉ. मुनि शांतिप्रियजी

दिव्य सत्संग के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने कहा कि यह अनमोल मनुष्य जिंदगी बार-बार नहीं मिलती। जीवन का हर क्षण अमूल्य है, इस जीवन को सफल बनाने हमें मिले हर क्षण का सदुपयोग करना ही चाहिए। पानी से तस्वीर नहीं बनती, ख्वाबों से तकदीर नहीं बनती। अपने जीवन में हमेशा शुभ कर्म करते रहना, क्योंकि ये जिंदगी भी बार-बार नहीं मिलती। भगवान श्रीमहावीर ने अपने परम शिष्य गौतम स्वामी से बारम्बार यही कहा कि हे गौतम तू क्षणभर का भी प्रमाद मत कर। इंसान की प्रगति के मार्ग का सबसे बड़ा दुश्मन यदि कोई है तो वह है- प्रमाद। क्योंकि बीता हुआ समय कभी वापस आता नहीं हैै। जीवन मिलना यह समय की बात है, मृत्यु आना भाग्य की बात है, मरने के बाद भी लोगों के दिलों में जिंदा रहना यह हमारे सत्कर्मों की बात है। यदि आप अपने-आपसे प्यार करते हैं तो कृपया समय से भी प्यार करना सीखिए। जो समय की कद्र नहीं करता, याद रखना समय भी उसकी कद्र नहीं करता। जो अपने समय को व्यवस्थित करके चलता है, वह चैबीस घंटों में 25 घंटे का कार्य अवश्य कर लेता है।

विविध कौमों से आए अतिथियों ने किया दीप प्रज्जवलन

रविवार की दिव्य सत्संग सभा का शुभारंभ अतिथिगण श्रद्धेय ललितप्रभजी महाराज साहब के सांसारिक बड़े भाई प्रकाशचंद दफ्तरी जयपुर, डॉ. अशोक भट्टर, राजेंद्र लूनिया कोलकाता, लोरमी विधायक धर्मजीत सिंग, चांउसलर-रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी रायपुर हर्ष गौतम, सीए डॉ. राजकुमार, सीए ज्ञानचंद मिश्रा, सीए किशोर बरडिय़ा, सीए अमिताभ दुबे, सीए धवल शाह, भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी, शांतिलाल संघोई, बी.एल. जैन, प्रकाशचंद चोपड़ा, रायपुर एयरपोर्ट के जीएम प्रवीणजी, डॉ. नवीन जैन, योगेंद्र भंडारी, शांतिलाल गुलेच्छा, जगदलपुर विधायक रेखचंदजी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। प्रवचन एवं संतश्री के आशीवर्चनों का लाभ लेने आज धर्मसभा में विधायक कुलदीप जुनेजा व मैट्स यूनिवर्सिटी के चेयरमेन गजराज पगारिया का आगमन हुआ। अतिथि सत्कार दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरडिय़ा व पीआरओ समिति के मनोज कोठारी द्वारा किया गया। सभी अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। सूचना सत्र का बोधगम्य संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया। मंगलाचरण व दीप प्रज्जवलन के उपरांत श्रीविचक्षण महिला मंडल ने समूह भक्ति गीत तन्मय होकर मन को धोकर जपो श्रीनवकार, णमो अरिहंताणम्... की मधुर-मनवभावन प्रस्तुति दी।  

आज प्रवचन ‘कैसे जिएं चिंता एवं तनाव-मुक्त जीवन’ विषय पर

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक, दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरडिय़ा, महासचिव प्रशांत तालेड़ा, अमित मुणोत ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि स्वास्थ्य सप्ताह के प्रथम दिवस सोमवार 25 जुलाई को सुबह 8:45 बजे से ‘कैसे जिएं चिंता एवं तनाव-मुक्त जीवन’ विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।

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