राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 जुलाई। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि दो घंटे की प्रार्थना काफी लाभदायक होती है, यह हमें दिनभर काम करने की शक्ति प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि दूसरे की चिंता मत करो, दूसरे की चिंता हमारे लिए चिता बन जाती है। समाज सुधारना सभी चाहते हैं, किंतु कोई स्वयं को नहीं सुधारना चाहता और समाज की चिंता करते रहता है।
गौरव पथ स्थित समता भवन में अपने नियमित प्रवचन में संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि सुधार उस व्यक्ति का होता है, जो देखता है कि मैं वास्तविक में गलत हूं और स्वयं को सुधारने में लग जाता है। उन्होंने कहा कि यदि यह भावना मन में आती है तो स्वयं का सुधरना शुरू हो जाता है, फिर वह योग्य अधिकारी बन जाता है। संतश्री ने कहा कि योग्य अधिकारी बनो। आप अपने आप को सुधारने का प्रयास करेंगे तो आपको अंदर से स्वप्रेरणा मिलेगी।
संतश्री ने कहा कि बच्चों का मन पराधीन होता है, इसलिए उनमें सुधार संभव होता है, किंतु हमारा मन तो हमारे अधीन है फिर हम अपने आप को क्यों नहीं सुधार पाते। स्वयं को सुधारने का प्रयास कीजिए। उन्होंने कहा कि आप समाज सुधारक बनकर मत रहो स्वयं को सुधारो। आपको दूसरे के बारे में सोचने की बीमारी हो गई है।
आप अपने बारे में चिंता करना छोड़ दूसरों के बारे में चिंता करते रहते हैं। आप चिंता को कर्तव्य का नाम देते हैं और जिसकी आप चिंता कर रहे हैं। उसे आपकी चिंता ही नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि चिंता- चिंता में चिता लग जाएगी।