बस्तर

जगतू माहरा के नाम पर बस्तर हाईस्कूल और धरमू माहरा के नाम पर महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण
22-Oct-2022 2:27 PM
जगतू माहरा के नाम पर बस्तर हाईस्कूल और धरमू माहरा के नाम पर महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 22 अक्टूबर।
जगतुगुड़ा को जगदलपुर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जगतू माहरा के नाम पर आज बस्तर हाईस्कूल का नामकरण किया गया। वहीं इसके साथ ही बस्तर संभाग के शिक्षा के महत्वपूर्ण केन्द्र धरमपुरा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले धरमू माहरा के नाम पर शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण किया गया।

प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव  रेखचंद जैन, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष  चंदन कश्यप, चित्रकोट विधायक  राजमन बेंजाम, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम सभापति कविता साहू, जगतू माहरा और धरमू माहरा के वंशज सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि जगदलपुर में बस्तर रियासत की राजधानी बसाने में जगतू माहरा का महत्वपूर्ण योगदान था। अब यह शहर प्रशासनिक और व्यावसायिक केन्द्र होने के कारण पूरे संभाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह उनके भाई धरमू माहरा के नाम पर आज धरमपुरा बसा है, जो संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है।

उल्लेखनीय है कि चौराहों के शहर के नाम से जाना जाने वाला जगदलपुर शहर आज से लगभग ढाई सौ साल पहले जगतुगुड़ा नाम की एक छोटी बस्ती थी, जिसका मुखिया जगतू माहरा था। यह घने जंगलों से घिरी हुई थी। उस समय हिंसक वन्य जानवरों से मानव और पालतू पशुओं की सुरक्षा की गुहार जगतू माहरा ने बस्तर राजा दलपत देव से की थी, जो एक कुशल शिकारी भी थे।

बताया जाता है कि इस गुहार पर दलपत देव जब बस्तर से इंद्रावती नदी पार कर जगतुगुड़ा पहुंचे, तब उनके साथ शिकारी कुत्ते भी शामिल थे। इंद्रावती नदी को पार करने के बाद दलपत देव ने एक बड़ी अजीब घटना देखी, जब उनके शिकारी कुत्ते के आगे खरगोशों ने डरने के बजाए शिकारी कुत्तों को ही डरा दिया। जब उन्होंने इस घटना की चर्चा जगतू माहरा के समक्ष की, तब उन्होंने इसे काछन देवी का प्रताप बताया।

दलपत देव ने अभय प्रदान करने वाली इस भूमि को राजधानी बनाने का विचार कर जगतू माहरा के समक्ष रखा, तब जगतू माहरा ने इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए इसे राजधानी बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी कारण जगतू माहरा के नाम से जग और दलपत देव के नाम से दल मिलाकर जगदलपुर शहर का नामकरण किया गया।

जगतू माहरा के छोटे भाई धरमू माहरा के नाम पर धरमपुरा है। बताया जाता है कि यहां चार तालाब थे, जिन्हें एक किया गया, जो वर्तमान में दलपत सागर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे समुंद कहते हैं, जो समुद्र का अपभ्रंश है।
यह भी उल्लेखनीय है कि दलपत देव की पत्नी का नाम समुंद देवी था। वर्तमान में धरमपुरा पूरे बस्तर संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है। यहां शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय स्थापित है।
इसके साथ ही यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, उद्यानिकी महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेज, क्रीड़ा परिसर भी स्थापित हैं।
 

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