गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम,17 दिसंबर। भारतीय किसान संघ द्वारा लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य एवं अन्य मांगों को लेकर 19 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली करने जा रहा है। उक्त आशय की जानकारी देते हुए किसान नेता भुनेश्वर साहू ने बताया कि इस रैली में देश भर से दो लाख किसान जुटेंगे। किसान गर्जना रैली में छत्तीसगढ़ से सभी जिलों से हजारों की संख्या में किसान बसों एवं ट्रेनों से दिल्ली जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, देश में स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव चल रहा है, देश में जब खाद्यान की समस्या थी, तब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था। वह भी काफी वर्ष हो गये, आज भी किसानों ने सभी आदानों को एमआरपी में खरीदता तो है लेकिन बेचने के समय एमएसपी की बात चलती है।
स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद किसान आज भी इंतजार में है कि उनकों कब न्याय मिलेगा। कम से कम ‘लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य’ तो उनको मिलें। वह तो नहीं मिलता है इसके उपर सभी आदानों के उपर जीएसटी की मार भी अलग से है। जीएसटी कानून के अंतर्गत सभी उत्पादकों को इनपुट क्रेडिट मिलता है सिवाय किसानों को छोडक़र। यद्यपि सरकार ने किसान सम्मान निधि का एक अच्छा कदम सही दिशाा में अपर्याप्त कदम था, फिर भी किसानों ने उसका खुले दिल से स्वागत किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किसानों के लिए एक छोटा सा बड़ा कदम है। मगर ये वर्ष 2019 की किसान सम्मान निधि 6 हजार प्रति वर्ष आज की स्थिति में, सारे आदानों मे मूल्य वृद्वि के कारण बहुत ही कम लगता है।
सरकार किसान के हित में सोचकर खाद में सब्सीडी तो देती है लेकिन ये अधिकतर किसान के हित में न होकर कम्पनियों के हित में है। हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने जीएम सरसों को अनुमति दे दिया है। इधर प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती की बात करते है, जैव विविधत्ता की बात करते है, मधुमक्खी पालन की बात करते है, पंचमहाभूत के संरक्षण की बात करते है, उधर पर्यावरण मंत्रालय ने इन सभी के एकदम विपरित जीएम फसलों की तरफदारी कर रहे है।