रायगढ़

नेतनागर नहर का मामला फिर गर्माया
04-Apr-2023 3:13 PM
नेतनागर नहर का मामला फिर गर्माया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 4 अप्रैल।
ग्राम नेतनागर में केलो नहर परियोजना विवाद का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब नेतनागर के प्रभावित अक्रोशित किसान  एकजुट होकर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले दोषी अधिकारियों पर एफआईआर कराने जूटमिल थाने पहुंचे।

जहां पुलिस ने उन्हें रोकने बैरिकेट्स लगा कर थाने में प्रवेश करने से रोका। लिहाजा किसानों के साथ भाजपा नेताओं ने भी थाने के बाहर धरने पर बैठकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने पर सभी मजिस्ट्रेट से अपनी गुहार लगाने कलेक्ट्रेड पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने की बात कही और जमकर हंगामा किया अंतत: प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद जूटमिल थाने में किसानों ने जेसीबी चलवाने वाले तहसीलदार और सिंचाई विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध लिखित शिकायत दी है।

इस संबंध में नेतनागर के किसान लल्लू सिंह ने कहा कि पिछले 27 तारिख को हमारी फसलों को रौंद दिया गया है। हमारी फसल को नुकसान पहुंचा है। जिससे किसान बहुत आहत हैं। इसी मामले को लेकर आज हम किसान दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने आये हैं। हम किसानों को न्याय चाहिए जिसके लिए हम अंतिम लड़ाई लडऩे को तैयार हैं।

नेतनागर में नहर विवाद को लेकर कई दिनों से किसानों  और प्रशासन के बीच विवाद की स्थिति बरकरार है। जिसका विरोध वहां के स्थानीय  किसानों द्वारा लगातार  किया जा रहा है, जबकि जिला प्रशासन इस नहर निर्माण पर जोर दे रहा है। लिहाजा विगत गई दिनों तक यहां धरना-प्रदर्शन और आंदेालन भी चला बावजूद इसके  27 मार्च को जेसीबी से प्रशासन द्वारा बर्बरता पूर्वक किसानों को फसल को नुकसान करते हुए नहर खोदाई का कार्य शुरू कर दिया गया, जिसके विरोध में बड़ी संख्या में किसान पहुंचे और इसका विरोध स्वरूप  जेसीबी के सामने सो गए इस दौरान पुलिस ने बल पूर्वक किसानों का गिरफ्तारी भी की गई, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। अब नेतनागर सभी किसानों ने एकजुट होकर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले दोषी अधिकारियों पर एफआईआर कराने का निर्णय लिया।

किसानों का कहना है कि राजस्व विभाग ने खड़ी फसल पर ही सीमांकन कर दिया, जिसके चलते काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में अब क्षेत्र के किसान एकजुट होकर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करने लगे हैं।किसानों का यह भी आरोप है कि डैम से 8 साल से उद्योगों को पानी दिया जा रहा है लेकिन किसानों को पानी से वंचित रखा गया है, जिसके चलते सिंचाई में भी दिक्कत हो रही है। ऐसे में अब प्रशासन द्वारा सूखी नहर बनाकर केवल शासन के पैसे का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने की तैयारी में जुट गई है।

10 वर्ष पहले भू-अर्जन, रिकार्ड में भूमि सिंचाई विभाग की-फूलेकर
इधर केलो परियोजना में चल रहे नहरों के कार्य के संबंध में जानकारी देते हुए केलो परियोजना के कार्यपालन अभियंता पी.आर.फुलेकर ने जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना का कार्य 2009 से शुरू हुआ है। इसमें बांध के साथ नहरों के निर्माण के लिए वर्षों पहले ही भू-अर्जन किया जा चुका है। नेतनागर में भी 10 वर्ष पहले ही जमीनें अधिग्रहित की जा चुकी हैं। इसके लिए मुआवजा भी विभाग द्वारा जारी किया जा चुका है। जो जमीन अधिग्रहित की गयी हैं वे रिकॉर्ड में सिंचाई विभाग के नाम से दर्ज है और इन्हीं जमीनों पर ही विभाग नहर निर्माण का कार्य करवा रहा है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों जब नेतनागर में नहर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई तो एसडीएम रायगढ़ द्वारा इस संबंध में गांव में मुआवजा वितरण कैंप लगाकर किसानों को सूचना दी गई। जिसके पश्चात पुलिस कंट्रोल रूम में कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने किसानों की बैठक लेकर विस्तार से इन सभी बिंदुओं पर जानकारी भी दी थी।

मुआवजा बांटने कैंप लगा पर नहीं पहुंचे किसान
श्री फुलेकर ने यह भी बताया कि नेतनागर में अर्जित भूमि का मुआवजा तैयार कर विभाग द्वारा जारी भी किया जा चुका है। इसे बांटने के लिए गांव में कई बार कैंप भी लगाया गया। उन्होंने कहा कि नहरों का निर्माण शासकीय परियोजना के तहत किया जा रहा है जिसे पूरा करने के लिए दिसंबर 2023 की समय-सीमा तय की गयी है। यह शासकीय कार्य है इसमें बाधा पहुंचाने पर कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है।
 

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