सरगुजा

बेजुबान पहचानते हैं, सुबह शाम करते हैं जयशंकर इनके भोजन की व्यवस्था, मवेशी भी रहते हैं घेरे
17-Apr-2023 8:12 PM
बेजुबान पहचानते हैं,  सुबह शाम करते हैं जयशंकर इनके भोजन की व्यवस्था, मवेशी भी रहते हैं घेरे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 17 अप्रैल।
कुछ लोगों में इंसानियत कूट-कूट कर भरी होती हैं. उनके अंदर जानवरों के लिए असीम प्रेम होता है, खासकर कुत्तों और आवारा मवेशियों के प्रति लोगों में दया और देखभाल की भावना कुछ ज्यादा ही देखी जाती है।

पालतू डॉग की देखभाल पर लोग हजारों खर्च कर देते हैं, लेकिन बात सडक़ों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों की आई तो ज्यादातर लोग नाक-भौं सिकोड़ लेते हैं। न इन्हें कोई हाथ लगाना चाहता है और न कोई इनकी तरफ देखना। हां, ज्योतिषी काले कुत्ते को रोटी खिलाने को बोले तो बात अलग है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी शहरी ऐसे हैं। अंबिकापुर शहर में वर्तमान में कई डॉग शेल्टर चल रहे हैं जिनमें युवा इन बेजुबानों की मदद कर रहे हैं। इन सबसे अलग एक नाम है जय शंकर साहू। उनके द्वारा किए जा रहे कार्य को शायद अभी शहरवासी नहीं जानते परंतु जो उनके आसपास रहते हैं वे बेजुबानों के प्रति किए जा रहे उनके कार्य से भलीभांति परिचित है।

पेशे से जयशंकर (बाबू) एक व्यवसायी है, लेकिन दिनभर की व्यस्तता के बाद जब वह घर पहुंचते हैं तो घर के अंदर जाने से पहले उनकी मुलाकात घर के सामने खड़े ऐसे बेजुबानों से होती है, जो उन्हें या कहें सिर्फ उन्हें ही पहचानते हैं। आवारा मवेशी व स्ट्रीट डॉग उन्हें बिना भोजन कराए अंदर नहीं जाने देते। जयशंकर को देखते ही आसपास खड़े सारे मवेशी दौड़ते हुए उनके पास पहुंच जाते हैं। उन आवारा मवेशी व स्ट्रीट डॉग के सुबह-शाम का भोजन उन्हीं के द्वारा कराया जाता है। जयशंकर जब भी घर के बाहर बैठते हैं, मवेशी व स्ट्रीट डॉग उन्हें घेरे रहते हैं। मवेशियों को अपने हाथ से ब्रेड, रोटी व बिस्किट भी वे अक्सर खिलाते हुए दिखते हैं। स्ट्रीट डॉग के लिए हर रोज बिस्किट व दूध की व्यवस्था रहती है। कभी-कभी नॉनवेज भी उनके द्वारा स्ट्रीट डॉग को खिलाया जाता है। 

एक दर्जन से ज्यादा मवेशी जो आसपास घूमते रहते हैं उनके आने के बाद सीधे उनके घर के सामने नजर आते हैं।

फीमेल स्ट्रीट डॉग ने दिए बच्चे, रोजाना की दूध की व्यवस्था
जयशंकर के राइस मिल में भी कई स्ट्रीट डॉग पल रहे हैं। वहां जब एक फीमेल स्ट्रीट डॉग ने बच्चे दिए तो उसकी अवस्था को देखते हुए हर रोज ताजा दूध व खाने के लिए भरपूर व्यवस्था जयशंकर के द्वारा की गई। जयशंकर का कहना था कि अगर इसे अभी पोष्टिक आहार नहीं मिलेगा तो इसके बच्चे कैसे जिंदा रहेंगे। उनकी यह सोच सही मायनों में बेजुबानों के प्रति उनकी भावनाओं को बताती है।

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