सरगुजा
![नवीन कानूनों के प्रति जागरूक करने सेमीनार नवीन कानूनों के प्रति जागरूक करने सेमीनार](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719681614-0016.jpg)
आईजी-कमिश्नर हुए शामिल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 29 जून। पीजी कॉलेज स्थित ऑडिटोरियम में शनिवार को नवीन कानूनों के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में छात्र-छात्राओं, विभिन्न गैर सरकारी संगठन, पत्रकारों, समाज के सभी वर्गों के प्रबुद्धजनों में जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज अंकित गर्ग द्वारा दीप प्रज्वलन कर सेमिनार कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक सरगुजा योगेश पटेल द्वारा पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज अंकित गर्ग एवं कमिश्नर सरगुजा संभाग जी.आर.चुरेंद्र का पुष्पगुच्छ से स्वागत सम्मान किया गया।
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए पुलिस महानिरीक्षक अंकित गर्ग ने कहा कि समाज के सभी वर्गों मे नवीन कानूनों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए उक्त सेमिनार का आयोजन किया गया हैं, सेमिनार का मुख्य उद्देश्य आमनागरिकों की दिनचर्या से जुड़े हुए कानूनों एवं आमनागरिकों कों प्रभावित करने वाले कानूनों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना है। पूर्व प्रचलित क़ानून सन 1860 से देश में प्रभावशील था और यही क़ानून आमलोगों की सामान्य दिनचर्या का हिस्सा रहे हैं, पूर्व प्रचलित क़ानून लम्बे समय से चले आ रहे थे।
नवीन कानूनों के सम्बन्ध में कार्यशाला एवं सेमिनार के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को क़ानून में हुए बदलाव की जानकारी दी जा रही है। नवीन क़ानून में जीरो एफआईआर की सुविधा है, जिसमें आम व्यक्ति किसी भी क्षेत्र के थाने में अपनी शिकायत एवं रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
थाना क्षेत्र की सीमा को दूर करने के अन्य प्रावधान भी दिए गए हैं। जीरो एफआईआर के तहत अपराध दर्ज कर सम्बंधित थाने कों प्रकरण अग्रिम जांच हेतु निश्चित समयावधि में भेजा जाना होगा, साथ ही नवीन क़ानून में कई ऐसे ही कई बदलाव किये गए हैं जो आमनागरिकों के प्रति जवाबदेही तय करते हैं एवं दंड व्यवस्था से न्याय व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाया गया हैं उपरोक्त नवीन क़ानून भारतीय परिस्तिथियों को ध्यान में रख कर भारतीयों द्वारा तैयार किया गया हैं, वीडियोग्राफी, ऑडियोग्राफी जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य को प्राथमिक साक्ष्य के रूप शामिल किया गया हैं, पुराने क़ानून की स्वीकार्यता नवीन परिस्थितियो के हिसाब से भिन्न थी, अब साइबर अपराध, आतंकवाद, संगठित अपराध, मॉब लिंचिंग सम्बन्धी अपराधों की नवीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर नवीन क़ानून कों लागु किया जाना आवश्यक था।