राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 जून। आषाढ़ माह में बीते तीन दिनों से बारिश की झड़ी लगने से सब्जियों के दाम में इजाफा होने से लोगों को सब्जियों का स्वाद चखने जेबे ढीली करनी पड़ रही है। वहीं लाल टमाटर के दाम सुनकर गृहणियों के चेहरे भी लाल होने लगे हैं। स्थानीय बाडिय़ों से सब्जियों की आवक नहीं होने और लगातार बारिश की झड़ी से बाहर से आने वाली सब्जियों की खेप नहीं आने से स्थानीय बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। बीते तीन दिनों से आसमान में काले मेघों का डेरा लगने और रिमझिम बारिश होने से शहर के गोलबाजार और गंज स्थित हाट बाजार में पसरा लगाकर सब्जी बेचने वाले सब्जी व्यापारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सब्जियों की आवक कम होने से सब्जियों के दाम में लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में सब्जी खरीदने वाले गृहणियों को अधिक दामों में सब्जियां खरीदनी पड़ रही है। फुटकर सब्जी व्यापारी विक्की मोहबे ने बताया कि बाजार में टमाटर, बरबट्टी और करेला के दाम 80 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। इसके अलावा गलका 60 रुपए किलो, गाजर 60 रुपए, भिंड़ी 50 रुपए, खीरा 40 रुपए, लौकी 30 रुपए किलो तक बिक रही है।
बारिश की वजह से सब्जी बाजार में सब्जियों के दाम अब रफ्तार पकड़ लिया है। अलग-अलग सब्जियों की कीमतें बढऩे लगी है। वहीं पूर्व में टमाटर की कीमत 60 रुपए थी, जो अब 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। स्थानीय बाडिय़ों से सब्जी की आवक घटने और लगातार बारिश की झड़ी के असर से सब्जी-तरकारी के दाम बढऩे लगे हैं। धनिया पत्ती की महक भी किचन से गायब हो गई है। गृहणियों के लिए महंगी सब्जियों के चलते किचन के बजट को सम्हालना मुश्किल हो रहा है। देशी सब्जियों की जगह हाईब्रीड़ तरकारी ने जगह ले ली है। हाईब्रीड़ सब्जियों के कीमतों में भी गिरावट नहीं है। फुटकर सब्जी व्यापारी बढ़ते सब्जी की कीमतों से परेशान हैं। सब्जी के दाम सुनकर ग्राहक उल्टे पांव लौट रहे हैं।
औसतन हर सब्जियां 50 से 60 रुपए किलो से ऊपर पहुंच गई है। सब्जी बाजार में भाजी-तरकारी के शौकिन लोगों को महंगे दाम पर खरीदी करनी पड़ रही है। अदरक की कीमत से खरीददार भी उलझन में पड़ गए हैं। मसालेदार सब्जियों के शौकिन लोगों को अदरक की खरीदी के लिए सोंचना पड़ रहा है। सब्जियों में टमाटर की जरूरत के कारण लोग महंगे दाम पर खरीददारी कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि अगस्त-सितंबर के बाद स्थानीय बाडिय़ों से सब्जी की आवक तेज होगी। इधर करेला का भाव भी कम नहीं हुआ है। पिछले कुछ सालों में जून-जुलाई का महीना महंगी सब्जी के लिए जाना जाता है।
दूसरे प्रांतों से सब्जियों की आवक तेज होने के बावजूद दाम में कमी नहीं आ रही है। बहरहाल हर सब्जियां महंगी होती चली जा रही है। स्थानीय बाड़ी से आवक बढऩे के बाद ही लोगों को सस्ती सब्जियां नसीब होगी।