बलौदा बाजार
150 सीट, 300 से ज्यादा आवेदन, छात्राओं की संख्या अधिक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 19 जुलाई। जिले में 34 साल पहले 1989 में खुले शासकीय मिनी माता कन्या महाविद्यालय में अब तक वाणिज्य संकाय नहीं खुल सका है, जबकि इस बीच महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रमों में विधायक, सांसद, मंत्री तक आए, जिनको कॉलेज प्रशासन ने यहां की समस्याएं व आवश्यकताएं बताईं। आश्वासन भी दिए, लेकिन हाल यह है कि यहां पर वाणिज्य संकाय जैसी महत्वपूर्ण कक्षा शुरू नहीं हो पाई। विज्ञान जैसी महत्वपूर्ण विषय की कक्षाएं भी 5 साल पहले ही शुरू हो पाई हैं।
जिला मुख्यालय को छोडक़र, जिले के सभी कॉलेजों में है कॉमर्स
जिले में कुल 9 कॉलेज हैं, इनमें मिनी माता कॉलेज को छोडक़र सभी में वाणिज्य संकाय की कक्षाएं संचालित हैं। यहां तक कि हाल ही में खुले 4 नए महाविद्यालयों में भी वाणिज्य संकाय की कक्षाओं का संचालन हो रहा है। केवल अध्यापकों की नियुक्ति अथवा पद स्थापना मात्र से वाणिज्य की कक्षाएं प्रारंभ हो सकती हैं।
भटगांव व बिलाईगढ़ नए जिले में जाने के बाद यदि इस जिले पर नजर डाली जाए तो सोनाखान, कसडोल, लवन, डीके कॉलेज, वटगन, भाटापारा और मोपका में सभी जगह कॉलेजों में कॉमर्स की कक्षाएं लगती हैं।
कन्या महाविद्यालय में पढऩे आती हैं जिलेभर से छात्राएं
एकमात्र कन्या महाविद्यालय होने से यहां जिले की छात्राएं आती हैं। वहीं डीके महाविद्यालय में कॉमर्स होने से वाणिज्य में दुगनी संख्या में विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। यहां प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए 150 सीट हैं, जबकि 300 से अधिक आवेदन हर वर्ष आते हैं जिसमें छात्राओं की भी संख्या अधिक रहती हैं। आसपास के लगभग सभी हाई सेकेंडरी स्कूलों में वाणिज्य है। छात्राओं में वाणिज्य के प्रति रुझान भी अधिक है। संपन्न लड़कियां बाहर पढऩे जाती हैं, पर निर्धन छात्राएं नहीं जा सकती हैं उन्हें मजबूरी में कला संकाय या होम साइंस लेना पड़ता है।
शासन का ध्यान इस ओर दिलाना होगा प्राचार्य
डी.के. महाविद्यालय की प्राचार्य जेम्स ने कहा कि कन्या महाविद्यालय में शीघ्र कॉमर्स की कक्षाएं खोलने पर शासन को गंभीरता से पहल करनी चाहिए। जन प्रतिनिधियों को भी शासन को अवगत कराना होगा।
मिनी माता कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य कल्पना उपाध्याय ने कहा कि समस्याओं को लेकर कई सालों से कई बार विधायक, सांसद, मंत्रियों सहित कॉलेज आयुक्त आदि को अवगत कराया जा चुका है, लेकिन अब तक कुछ हो नहीं पाया है।
कई विषयों के पद भी रिक्त चल रहे हैं जिनके स्थान पर अतिथि व्याख्याताओं से काम चलाया जा रहा है।