बस्तर
जूनियर डॉक्टर्स एसो. ने लिया फैसला, मांग पूरी नहीं होने पर करेंगे हड़ताल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 29 जुलाई। मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के डॉक्टरों ने शुक्रवार से अपने हाथों में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। मेकाज के डॉक्टरों का कहना है कि जब तक रायपुर में बैठे डॉक्टरों की टीम की तरफ से कोई आदेश नहीं आता, तब तक मेकाज के डॉक्टर हाथ में काली पट्टी बांधकर ही शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते रहेंगे। अगर एक सप्ताह के बाद भी डॉक्टरों की मांगों को नजर अंदाज किया जाता है, तो संघ के ओर से लिए गए फैसले के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी।
मामले के बारे में जानकारी देते हुए जीएमसी जगदलपुर अध्यक्ष ए प्रशांत ने बताया कि जनवरी में मेकाज के तैनात पीजी, पीजी बोंडेड (एमडी/एमएस) डॉक्टर, पोस्ट एमबीबीएस बॉन्डेड डॉक्टर्स एवं इंटर्न के द्वारा वेतन वृद्धि को लेकर 5 दिनों तक हड़ताल किया था, जिसके बाद हमें मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन मिला था, लेकिन आश्वासन के बाद भी मांगे पूरी होता न देख एक बार फिर से डॉक्टरों के द्वारा हड़ताल की शुरुआत कर रहे है, जिसमें शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर शांति पूर्ण तरीके से विरोध शुरू कर दिया गया है, उसके बाद भी मांग पूरी नहीं होती है तो रायपुर में बैठे डॉक्टरों की रणनीति के आधार पर 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर सकते हैं। इस मामले को लेकर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री के नाम पहले भी ज्ञापन भेजे जाने की बात कही है।
छत्तीसगढ़ जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के डॉक्टरों ने बताया कि 25 जनवरी 2023 को समस्त चिकित्सा विद्यालय के छात्रों ने पीजी, पीजी बोंडेड (एमडी/एमएस) डॉक्टर, पोस्ट एमबीबीएस बॉन्डेड डॉक्टर्स एवं इंटर्न के स्टाइपेंड वृद्धि हेतु शांतिपूर्ण आंदोलन किया था, मुख्यमंत्री ने उस समय आश्वासन दिया था की हमारी मांगों पर एक त्वरित निर्णय लिया जाएगा, लेकिन 6 माह के उपरांत भी स्टाइपेंड वृद्धि के विषय मे शासन की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया, सरकारी तंत्र के इस अनदेखी ने डॉक्टरों को काफी हतोत्साहित किया है। इसीलिए हम एक हफ्ते के ब्लैक रिबन के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर अपनी मांगों को फिर से शासन प्रशासन तक लेकर जाने की बात कही है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर फिर भी शासन हमारी लंबित मांगों पर कोई निर्णय नहीं लेता है तो डॉक्टर्स 1अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे। हड़ताल के समय मरीजो को होने वाली परेशानियों के लिए स्वयं शासन जिम्मेदार रहेगा, क्योंकि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी शासन ने हमारी मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।