महासमुन्द

पहले गांव में साइकिल दुकान खोली, 2 गाय भी रख ली, बैंक से कर्ज लेकर 48 गायों की पालक बन गईं
04-Aug-2023 3:54 PM
पहले गांव में साइकिल दुकान खोली, 2 गाय भी रख ली, बैंक से कर्ज लेकर 48 गायों की पालक बन गईं

सरकारी योजना का लाभ लेकर उर्मिला बनी सफल डेयरी व्यवसायी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,4अगस्त। जिला मुख्यालय महासमुंद से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम झालखम्हरिया में रहने वाली 45 वर्षीय उर्मिला यादव ने सरकारी योजना का लाभ लेकर डेयरी फार्म का व्यवसाय कर आर्थिक सफलता हासिल की है।

उर्मिला यादव 10वीं तक पढ़ी-लिखी है। वह छोटे किसान परिवार से है। पहले उनका मूल काम कृषि कार्य था। इसके अलावा उन्होंने गांव में छोटी साइकिल दुकान भी डाली। घरेलू उपयोग के लिए एक-दो गाय भी रख ली थी।  इससे वह सामान्य गुजर-बसर कर रही थी। उनकी इच्छा परिवार की बेहतर आर्थिक स्थिति मजबूत करने की थी। वो उम्मीद लगाए रहती थी कि कही से आर्थिक मदद मिल जाए तो वह गाय पालन को एक डेयरी व्यवसाय के रूप स्थापित करें। उन्हें किसी तरह पशुपालन विभागीय योजनाओं और डेयरी उद्यमिता विकास योजना के बारे में जानकारी मिली। उ्रन्होंने बगैर देरी किए लाभ लेने के लिए विभाग से संपर्क किया। ऋण योजनांतर्गत परीक्षण में पात्र पाई गई। योजना के तहत उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से 12 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ। जिसमें सहायता के रूप में 6 लाख रुपए विभाग से अनुदान मिला।

उर्मिला ने इस आर्थिक सहयोग से उन्नत नस्ल की 15 दुधारू गाय खरीदी। उसने दुग्ध उत्पादन से जो आय होती उससे ऋण किस्त की नियमित अदायगी की। अतिरिक्त आमदनी बढऩे से उन्होंने और गाय खरीदकर पशुधन की संख्या में ईजाफा किया। आज उर्मिला के पास उन्नत नस्ल की 26 गायें हंै। उनके पास गायोंं की कुल संख्या बढक़र अब 48 हो गई है। इससे प्रतिदिन डेढ़ क्विंटल दूध का उत्पादन हो रहा है। जिसके फलस्वरूप 6 से 7 हजार रुपए प्रतिदिन आय होती है।

उर्मिला बताती हैं कि इस आमदनी से रोज 5 हजार रुपए पशु प्रबंधन, रख-रखाव में खर्च हो जाता है। डेढ़ हजार रुपए शुद्ध बचत होती है। मार्केटिंग के लिए वह ओम डेयरी के नाम से मिल्क पार्लर चला रही है। इसके अलावा वह गोबर वर्मी कम्पोस्ट खाद्य से भी आर्थिक लाभ ले रही है। इस प्रकार आर्थिक लाभ होने से आत्मविश्वास के साथ ही उनका आत्मसम्मान भी बढ़ा है। हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम हो। इस सपना को पूरा करने के लिए वह रास्ता भी ढूंढता है।

लेकिन इस रास्ते में आर्थिक संकट रूकावट पैदा करता है। ऐसी स्थिति में शासकीय योजनाएं उसके जीवन में उम्मीदों की किरण बनकर आती है और उसका सपना पूरा करने का जरिया बन जाती है।

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