रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 सितंबर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मास 2023 की प्रवचन श्रृंखला के दौरान बुधवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि आप घर में जो भी व्यंजन बनाते हो, उसका सबसे पहले परमात्मा को भोग लगाओ। वह मिठाई हो सकता है, कोई विशेष व्यंजन हो सकता है, जिसे आपने किसी विशेष मौके पर बनाया हो। केवल विशेष मौकों पर विशेष व्यंजन ही नहीं बल्कि आप हर दिन बनने वाले भोजन को भी भगवान को समर्पित कर सकते हो।
साध्वीजी कहती है कि आपको अभक्ष्य व्यंजन नहीं चढ़ाना है। चढ़ाना ही नहीं आपको वह बनाना भी नहीं चाहिए, केवल साधर्मिक भोजन ही बनाना चाहिए। आप हर दिन भगवान को भोग लगाइए और उसे उसके बाद ग्रहण कीजिए। यह मत सोचना कि आप रोज भगवान को भोग लगा रहे हो, आपको केवल एक कटोरी ही भोजन भोग के रूप में चढ़ाना है। वैसे भी परमात्मा को भोग से कोई मोह नहीं होता। क्या परमात्मा आपके लगाए हुए भोग पर निर्भर रहते है, ऐसा नहीं है। भोग लगाते समय आपके भावों का महत्व होता है। आप कितने भी उच्च क्वालिटी की मिठाई, मंहगे भोग चढ़ा लो अगर आपके भाव नहीं होंगे तो कोई मतलब नहीं है। हम भोग परमात्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लगाते है। जीवन में परमशांति बनी रहे इसके लिए हमें परमात्मा द्वारा दिये गए अनेकांतवाद के सिद्धांतों का अनुसरण करना होगा।
अनेकांतवाद जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और मूलभूत सिद्धान्तों में से एक है। मौटे तौर पर यह विचारों की बहुलता का सिद्धान्त है। अनेकांतवाद की मान्यता है कि भिन्न-भिन्न कोणों से देखने पर सत्य और वास्तविकता भी अलग-अलग समझ आती है।