रायपुर
टिकेश यादव
रायपुर, 8 सितंबर। सूदखोरी का अवैध कारोबार आज भी धड़ल्ले से चल रहा है। पुरुष ही नहीं कई घरेलू महिलाएं भी ब्याज पर पैसा चला रही है। शहर के छोटे-बड़े बैंक और फाइनेंस कम्पनी भी इस कारोबार में उतर गई हैं।
हाल में एक बैंक उत्कर्ष स्माल बैंक का कारोबार पुलिस में कुछ ऐसा ही बताया है। ये बैंक एजेंट बनाकर गली मोहल्लों में महिलाओं का ग्रुप बनाकर बिना किसी कागजी कार्रवाई के तत्काल लोन का पैसा देकर अपने जाल में फसा रहें है। गरीब मजदूर परिवार भी बिना बैंक के चक्कर कांटे आसानी से पैसा मिलने के एवज में 5 से 25 प्रतिशत के दर से लोन उठाकर फसते जा रहें है। इन पर किसी भी तरह की रोक नहीं लग पा रही है। शिकायत नहीं इसलिए कार्रवाई नहीं। समय पर उधार पैसा देने के एवज में ब्याज के पैसा चुकाने में अपनी सारी कमाई गवां बैठते है। हजारों रुपए के कर्ज के एवज में लाख रुपए चुकाने के बाद भी धमकियां झेल रहे है। कईयों ने तो सूद का पैसा चुकाने के चक्कर में अपना घर तक बेंच डाले। और अब किराए के मकानों में गुजर बसर का रहें है।
उधार में ली गई राशि का ब्याज ही इतना ज्यादा होता है कि कई बार मूलधन के बराबर राशि चुकाने के बाद भी कर्ज तो दूर ब्याज ही खत्म नहीं होता। यही वजह है कि ब्याज चुकाते-चुकाते सारी कमाई निकल जाती है।
पीडि़ता भगवती ध्रुव ने बताया कि वह रोजी मजदूरी का काम करती है। और एक छोटे से मकान में रहती है। कुछ दिन पहले उसकी बेटी की तबीयत खराब हो गई। जिसके इलाज के लिए उसे पैसों की जरूरत पड़ी। तब किसी महिला के कहने पर वह समुह में जूड गई और उसने 50-50 हजार का लोन लिया था। पढ़ी लिखी न होने की वजह से कागजी कार्रवाई उसके समझ से परे था। जिसका समय पर किस्त जमा करती रही। कभी किसी कारण से किस्त न दे पाने पर एजेंट घर में आकर धमकाते और कानूनी कार्रवाई की धमकी भी देते थे। कर्ज और ब्याज इतना बढ़ गया कि उसने अपना मकान बेच कर मूलधन और ब्याज की रकम चुकाई।
बैंकों के झंझट से बचने सूदखोरों का सहारा
बैंको में लोन लेने के लिए कागजी कारवाई फिर सप्ताह भर के इंतजार के बाद भी लोन नहीं मिल पाता ऐसे लोग जो बैंक से कर्ज ले नहीं सकते या बैंक की कागजी प्रक्रिया से बचना चाहते है, सूदखोरों का आसरा लेते है। ऐसे लोगों को ब्याज पर पैसा चलाने वाले 5 से 25 प्रतिशत ब्याज पर पैसा उधार देते है।
मकान जमीन के पेपर गिरवी
अधिकतर सूदखोर ब्याज पर पैसा देने के बदले में जरुरतमंद से मकान जमीन के पेपर अपने पास रख लेते है। कई बार उधार में लिया गया पैसा चुकाने के बाद भी पेपर वापसी करने के नाम पर अतिरिक्त ब्याज वसूला जाता है। कभी कभी तो किस्त न चुकाने पर घमकी देकर मजबूर किया जाता है।
कमीशन का खेल
फाइनेंस एजेंट मोहल्लों में जाकर महिलाओं का तीन से पांच का ग्रुप बनवाकर लोन का पैसा देते हैं। जिसमें इन सदस्यों में से ही किसी एक को लोन दिया जाता है। जिसके बाद लोन अदा करने की जिम्मेदारी समुह को दिया जाता है। इसमें समुह के लीडर का भी कमीशन जूडा़ होता है। इस आधार पर बैंक फिर एजेंट इसके बाद समुह में जोडऩे वाली महिला लीडर इस प्रकार से लोन लेने वाले को 5 से 25 प्रतिशत तक का ब्याज देना होता है।