कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 13 अक्टूबर। एकलव्य विद्यालय गोलावंड एवं बाल गृह में ‘मंथन’ परियोजना के तहत विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। जिसमें एकलव्य विद्यालय के स्कूली बच्चों ने अलग अलग गतिविधियों में भाग लिया।
संस्था के शिक्षकों एवं यूनिसेफ जिला सलाहकार उन्नति अरोरा के सहयोग से कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने संगीत, कविता, नृत्य एवं नुक्कड़ नाटक जैसे मनोरंजक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया। इसके साथ साथ बच्चों ने मनोभावों के प्रति संवेदनशीलता बरतने के लिए भावनाओं की रंगोली भी बनाई। इसके साथ ही बाल गृह कोण्डागांव में भी अधीक्षक द्वारा बच्चों के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। जहां बच्चों को मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरूक करते हुए जानकारी दी गयी। मंथन कार्यक्रम के तहत बच्चों के मानसिक विकास के लिए बनायी गयी मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक वीडियो भी दिखाया गया।
इस अवसर पर जिला प्रशासन एवं यूनिसेफ की सहायता से चलाये जा रहे मंथन परियोजना के संबंध में यूनिसेफ जिला सलाहकार उन्नति अरोरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी आवासीय शैक्षणिक संस्थानों में मनोसामाजिक समर्थन के लिए एक प्रणाली बनाने और बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की कोशिश में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग, जिला प्रशासन एवं यूनिसेफ द्वारा राज्य में ‘मंथन परियोजना’ शुरू की गई है। इस हेतु कलेक्टर दीपक सोनी के मार्गदर्शन में यूनिसेफ एवं महिला बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग द्वारा परियोजना में कार्य एवं सहयोग किया जा रहा है। मंथन परियोजना से अनेक स्तर पर बदलाव देखे जा रहे है। इसके तहत बच्चों तक पहुंच बनाकर उनकी मनोसामाजिक ज़रूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना भी की गयी है।
मंथन परियोजना के तहत मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा की पुस्तिका का आदिवासी आवासीय शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत अधीक्षकों, सम्बंधित शिक्षकों एवं आश्रम-छात्रावासों से सम्बंधित अधिकारीगणों को वितरण किया जा रहा है। जिसकी सहायता से अधीक्षक किसी संकट या चुनौती से गुजऱ रहे बच्चे को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा इस पुस्तिका के सहयोग से प्रदान कर सकते हैं।
इस पुस्तिका में प्रस्तुत किये गए विषयों को आसान बनाने के लिए इसमें कई सारे आकर्षक ऑडियो विसुअल टूल, जैसी की वीडियो के लिए हाइपरलिंक, फील्ड के अनुभवों से बनी गयी केस स्टडी, क्विज इत्यादि का उपयोग किया गया है। आवासीय संस्थानों में रहने वाले बच्चों को कई तरह की परेशानियों से गुजऱते है जैसी की छात्रावास की दिनचर्या में ढलने में दिक्कत, घर का याद आना, माता पिता की चिंता होना, किशोरावस्था से जुड़े चुनौतियोँ, और अपने उम्र के साथियों के साथ मित्रता में परेशानी, इत्यादि। ऐसे समय में यह पुस्तिका अधीक्षक को एक उचित मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करती है।