कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव,17 अक्टूबर। जिले के विकासखंड केशकाल अंतर्गत मुरनार से मर्दापाल के बीच लगभग 200 किमी की सडक़ बनकर तैयार हो चुकी है। सडक़ बनने के पहले क्षेत्र की तस्वीर कुछ और ही थी। यहां न तो विकास था और न ही विकास की कोई उम्मीद। पूरा क्षेत्र साल के 8 महीना मुख्यालय से कटा रहता था, लेकिन वर्ष 2018 में केशकाल के मुरनार से मर्दापाल तक बने सडक़ ने क्षेत्र की तस्वीर बदलकर रख दी है।
जानकारी अनुसार, केशकाल के मुरनार से मर्दापाल तक कुल 196 किमी की सडक़ का निर्माण अलग-अलग आरईएस, प्रधानमंत्री सडक़ विभाग आदि ने तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश में मिलकर किया। जिससे सीधे तौर पर विकासखंड केशकाल के एक दर्जन से अधिक पंचायत और विकास खण्ड फरसगांव के लगभग 30 गांव को आपस में जोड़ दिया। इसका सीधा फायदा हुआ कि, क्षेत्र के लिए विकास निरंतर पहुंचने लगी।
पूर्व कलेक्टर ने इसी तरह से जिले के अंदरुनी इलाके के छोटे-छोटे गांवों को सडक़ मार्ग से केवल जोडऩे के लिए मर्दापाल से मुरनार तक सडक़ का निर्माण लिंगोपथ के नाम से करवाया। जिससे आज ये इलाके सीधे जिला व विकास खण्ड मुख्यालय से जुड़ चुके हंै। इसका सीधा फायदा इन इलाकों के ग्रामीणों को हो रहा है, साथ ही जीवन स्तर सुधार रहा है।
पहली बार किसानों का धान पहुंचा मंडी
जिला के उडंदाबेड़ा, ईरागांव, धनोरा, बड़ेडोंगर, कुएंमारी, धनोरा ऐेसे क्षेत्र हंै, जिसके सैकड़ों ग्रामीणों तक पहुंच सडक़ नहीं था। जिस कारण इस क्षेत्र में धान को कभी समर्थन मूल्य पर बेचा नहीं जा सका था। वर्ष 2018 में सडक़ निर्माण के बाद इस क्षेत्र के किसान से अपने उपज को समर्थन मूल्य में बेचने के लिए सहकारी समिति तक ले जाने में सक्षम हुए हैं।
लिंगों देव पथ ने बदला ग्रामीणों का जीवन स्तर
विकास के लिए सडक़ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका जीवंत उदाहरण लिंगो देव पथ ने साबित किया है। यहां सडक़ नहीं होने से इस क्षेत्र के ग्रामीण पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करते थे। जो कुछ भी इस क्षेत्र में मिलता, उसी सीमित संसाधन से अपना गुजर बसर किया जाता, लेकिन अब सडक़ बनने के बाद ग्रामीणों के पास दुपहिया वाहन, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट समेत कई अन्य उपयोगी सामान दिखाई देता है। जिससे उनके जीवन स्तर में भी बेहतर बदलाव होने लगा है।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा को मिली नई उड़ान
इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने चर्चा करते हुए बताया कि, सडक़ नहीं होने से इन क्षेत्रों में कभी एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सुविधा नहीं पहुंचती थी। बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई बार नदी तैर कर पार करना होता था। सडक़ बनने के साथ पुल पुलिया का भी निर्माण हुआ है। ऐसे में अब बीमार पीडि़तों के सुविधा के लिए एंबुलेंस पहुंच रही है। छोटे बच्चे पूरे साल अपने स्कूल शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।