बस्तर

मेकाज में ब्रोंकोस्कोपी शुरू, मरीजों को जाना नहीं पड़ेगा राजधानी
18-Oct-2023 2:35 PM
मेकाज में ब्रोंकोस्कोपी शुरू, मरीजों को जाना नहीं पड़ेगा राजधानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 18 अक्टूबर। 
शहीद महेन्द्र कर्मा स्मृति चिकित्सालय डिमरापाल जगदलपुर में ब्रोंकोस्कोपी की शुरूआत की गई है, बस्तर संभाग में यह पहला संस्थान है, जहां इसकी शुरुआत की गई है।

ज्ञात हो कि यह बस्तर संभाग में ब्रोंकोस्कोपी प्रारंभ करने वाला प्रथम संस्थान बना है, अब संभाग के मरीजों को जिन्हें पहले इस जाँच हेतु राजधानी एंव प्राइवेट संस्थानों का रुख करना पड़ता था, अब उन्हें इसका लाभ मेकाज में मिल सकता है।

ब्रोंकोस्कोपी-वायुमार्ग एवं फेफड़ों की दूरबीन द्वारा जाँच करने की तकनीक को ब्रोंकोस्कोपी कहते हैं। 

ब्रोंकोस्कोपी क्यों की जाती है?
फेफड़ों की बिमारियों के निदान, पुरानी खांसी, खांसी में खून आना, फेंफड़ो का संक्रमण (टी.बी., निमोनिया) फेंफड़ों के कैंसर, श्वसन मार्ग में फंसी/अटकी कोई बाहरी तत्वों को हटाना आदि  ब्रोंकोस्कोपी द्वारा जाँच एवं इलाज रेस्पीरेटरी मेडीसीन विभाग के डॉ. अमरदीपक टोप्पो, डॉ. गरिमा ध्रुव एवं डॉ. मनोज, डॉ. वीनिता के द्वारा किया जा रहा है।

डॉक्टरों ने बताया कि ब्रोंकोस्कोपी के कम से कम 6 घंटे पहले तक मरीज को कुछ खाना या पीना नहीं चाहिए। सेडेशन अक्सर उन लोगों को दिया जाता है, जिनकी लचीली ब्रोंकोस्कोपी की जाती है, और आमतौर पर सामान्य एनेस्थीसिया उन लोगों को दिया जाता है, जिनकी ह्म्द्बद्दद्बस्र ब्रोंकोस्कोपी की जाती है। लचीली ब्रोंकोस्कोपी में गले और नाक के मार्ग में एनेस्थीसिया छिडक़ा जाता है और नॉस्ट्रिल, मुंह या सांस की नली से होते हुए फेफड़े के हवामार्गों में ब्रोंकोस्कोप डाला जाता है और फेफड़ों की जांच की जाती है। 

ब्रोंकोस्कोपी के बाद व्यक्ति को 2 से 4 घंटों तक निगरानी में रखा जाता है, अगर ऊतक का नमूना निकाल लिया गया है

ब्रोंकोस्कोप का इस्तेमाल क्यों करते हैं?

अगर लगता है कि फेफड़े का संक्रमण किसी असामान्य बैक्टीरिया की वजह से हुआ है या इसका इलाज कठिन हो सकता है (उदाहरण के लिए, उन लोगों में जिनमें इम्यून सिस्टम के जुड़ी अन्य कोई कमियाँ हैं) तो फेफड़े के संक्रमण (जैसे निमोनिया, टीबी) का कारण पता करने के लिए ऐसा किया जाता है, हव ामार्गों की जांच करने और उन हिस्सों से ऊतक का नमूना लेने के लिए जिनमें कैंसर हो सकता है, फेफड़े में खून बहने के स्रोत की जांच करने के लिए होता है, सांस लेने में सहायता करने के लिए ट्यूब को किस जगह पर डाला जा सकता है, यह बताने के लिए (ट्रेकियल इनट्यूबेशन)फेफड़े के निश्चित हिस्सों में दवा डालने के लिए रिसावों, खून, मवाद और बाहरी तत्वों को निकालने के लिए किया जाता है।
 

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