महासमुन्द

धूमधाम से मनी आंवला नवमी
21-Nov-2023 2:37 PM
धूमधाम  से मनी आंवला  नवमी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 21 नवम्बर।
जिले में आज आंवला नवमी का पर्व धूमधाम से मनाई गई। कहा जाता है कि आज के दिन व्रत और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। 

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर दिन मंगलवार को तडक़े 03 बजकर 16 पर शुरू हुई है और इस तिथि का समापन 22 नवंबर दिन बुधवार को 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के आधार पर इस साल आंवला नवमी आज 21 नवंबर को मनाई जा रही है। आज पूजा का शुभ  मुहूर्त सुबह 06 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक है। अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक है। आज रात 8 बजकर 01 मिनट से कल सुबह 06 बजकर 49 मिनट तक रुवि योग रहेगा। कल दिन भर पंचक लगा रहेगा। 

नगर पंडित पंकज तिवारी के अनुसार आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। इस वजह से आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं।  आंवले का भोग लगाने, आंवले को ही प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।  धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने की परंपरा है। ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है।

ग्रंथों के अनुसार आंवला नवमी को भगवान विष्णु ने कूष्मांड राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे कूष्मांड नवमी भी कहते हैं। आंवला नवमी पर इसीलिए कूष्मांड यानि कद्दू का दान करते हैं। आंवला नवमी से ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इस बार अक्षय नवमी 21 नवंबर मंगलवार को है। 

इस दिन प्रात:काल जागने के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजन करके पेड़ की जड़ में दूध की धारा गिरा कर तने में चारों तरफ  सूत लपेटना चाहिए। इसके बाद कपूर या घी की बाती से आरती करके 108 परिक्रमा  करना चाहिए। एक जन मान्यता है कि आंवला नवमी के पूजन में जल, रोली, अक्षत, गुड़, बताशा, आंवला और दीपक घर से लेकर ही जाना चाहिए।
 

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