महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 27 अप्रैल। आसमानी बिजली से बचने शहर समेत जिले के ऊंचे भवनों में कोई इंतजाम नहीं है। इस ओर शासन, प्रशासन का ध्यान भी नहीं जाता। शहर में करीब 80 फीसद भवन, औद्योगिक क्षेत्रों, स्कूलों में तडि़त चालक नहीं है। लिहाजा प्रतिवर्ष आसमानी बिजली से मुख्यालय के आसपास ग्रामों तथा जिले के अनेक स्थानों पर बिजली से कर्ई मौतें होती है। बिजली गिरने के बाद मृत्यु पर बकायदा मृतक के परिजनों को 5 हजार से 10 हजार रुपए दे दी जाती है। माह अप्रैल से जून के बीच अधंड बारिश के दौरान अक्सर आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं होती हंैं।
बारिश के समय बिजली गिरने की घटनाएं आम हैं। इससे कई लोगों की जान भी चली जाती है। इससे बचने के लिए लोग घरों या दफ्तरों में तडि़त चालक लगवाया जाता है। कहा जाता है कि तडि़त चालक से आसमानी बिजली से नुकसान कम होता है। वरना बारिश में बिजली गिरने की वजह से न केवल इंसानों बल्कि मवेशियों और पेड़ों को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे किसी भी संभावित हादसे से बचने के लिए तडि़त चालक या लाइटनिंग रॉड लगवाना एक बेहतर ऑप्शन होता है। इसे आसानी से घर, मंदिर, भवन, दफ्तर या किसी भी इमारत में लगाया जा सकता है। यह बड़ी दुर्घटना से लोगों तथा भवनों को सुरक्षित कर देता है।
मालूम हो कि शहर के पास ही औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी में 150 से अधिक उद्योगों की स्थापना हो चुकी है। साथ ही नांदगांव, घोड़ारी, नदीमोड़ के आसपास भी अनेक उद्योग संचालित किये जाते हैं। जिला मुख्यालय में ही अनेक शासकीय-अशासकीय भवन हैं। अनेक स्कूलें हैं। जिनकी इमारतें काफी ऊंची हैं लेकिन वहां तडि़त चालक नहीं लगाया गया है।
जानकारी के मुताबिक तडि़त चालक कंडक्टर इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है। जब एक चाज्र्ड बादल बिल्डिंग के पास से होकर गुजरता है, तब इंडक्शन प्रोसेस के जरिए कंडक्टर बादल के विपरीत चार्ज हो जाता है। फिर ये कलेक्टेड चार्ज अर्थिंग सिस्टम के जरिए धरती में चले जाते हैं। इस लाइटनिंग रॉड को आसानी से किसी भी इलेक्ट्रीशियन को बुलाकर घर में लगाया जा सकता है। हालांकि, भवन निर्माण के वक्त ही इसे लगाना ज्यादा बेहतर होता है। ताकी बनते हुए घर को भी कोई नुकसान न हो। इसे लगवाने में करीब 8 से 10 हजार रुपए का खर्च आता है।