रायपुर

फिर कर्ज ले रही सरकार
24-Nov-2023 4:04 PM
फिर कर्ज ले  रही सरकार

8 माह में चौथी बार, अब तक 82 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 नवंबर।
छत्तीसगढ सरकार ने रिजर्व बैंक से एक  हजार करोड़ का कर्ज मांगा है। जो मय ब्याज, आठ वर्ष में वापसी योग्य होगा। अप्रैल से शुरू हुए इस वित्तीय वर्ष के इन आठ महीनों  में कर्ज की यह चौथी किस्त होगी। वहीं उससे पहले  15 महीनों बाद जून में पहला कर्ज लिया था। 

राज्य सरकार ने साल 2022-23 के वित्त वर्ष में अपने बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन के चलते एक रुपए का भी कर्ज नहीं लिया था। राज्य सरकार ने अपने ही संसाधनों, केंद्रीय करों और केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में प्राप्त राशि से बजट का संचालन किया था। इस बार भी संचालक बजट ने विभाग प्रमुखों से कहा है कि केंद्रीय योजनाओं के समकक्ष योजनाओं के प्रस्ताव न दिए जाएं। पिछले वर्ष राज्य ने जहां अपने हिस्से के करों से 17 हजार करोड़ का राजस्व वसूला।वहीं, केंद्र ने भी करीब 10 हजार करोड़ रुपए दिए। वैसे राज्य को अभी भी पांच हजार करोड़ मिलना बाकी है।

अन्य राज्यों ने भी चुनाव से पहले मांगा कर्ज राज्य सरकार ने आरबीआई से सात वर्ष में रिटर्न के वादे के साथ 2 हजार करोड़ मांगे हैं. छत्तीसगढ़ के अलावा 17 अन्य राज्यों ने भी  कुल 35200 करोड़ का कर्ज मांगा है।आरबीआई ने इसके लिए वित्तीय संस्थानों के लिए ऑफर जारी कर दिया है । और यह आफर 28 नवंबर को ओपन होगा। 

84 हजार करोड़ पहुंचा कर्ज:छत्तीसगढ़ का कुल कर्ज बढक़र 84 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा गया है. छत्तीसगढ़ पर कई वित्तीय संस्थानों से लिए गए 82 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. सरकार ने इस साल के लिए 1.21 हजार करोड़ का बजट जारी किया है।

बीते बजट सत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में बताया था कि जनवरी 2023 की स्थिति में राज्य सरकार पर 82.125 करोड़ रुपए का कर्ज है। जनवरी 2019 से जनवरी 2023 तक औसत प्रतिमाह 460 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान किया गया. दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विभिन्न संस्थाओं से राज्य के विकास के लिए जनवरी 2019 से इस वर्ष जनवरी तक 54,491.68 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है।

राज्य की वित्तीय स्थिति एक नजर में प्रति व्यक्ति आय

प्रति व्यक्ति आय त्रस्ष्ठक्क की तुलना में राज्य के वेल्थ का बेहतर संकेत देती है. वित्त वर्ष 23 में आय के मामले में छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 1.34 लाख रुपये रही है। 

रेवेन्यू

रेवेन्यू के मोर्चे पर छत्तीसगढ़ ने 89,073 करोड़ रुपये का राजस्व वित्त वर्ष 23 में प्राप्त किए.

जीएसडीपी के अनुपात में कर्ज

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में छत्तीसगढ़ पर सबसे कम कर्ज है. छत्तीसगढ़ पर जीएसडीपी के अनुपात में 17.9 फीसदी कर्ज है। जीएसडीपी के अनुपात में अधिक कर्ज राज्य के वित्तीय हेल्थ के लिए ठीक नहीं है। क्योंकि कर्ज के ब्याज के भुगतान के बाद राज्य के पास विकास कार्यों के लिए कम संसाधन बचते हैं। 

राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा तब उत्पन्न होता है जब किसी सरकार का खर्च उसके राजस्व से अधिक होता है. फिर इस अंतर को पाटने के लिए राज्य सरकार को कर्ज लेना पड़ता है. छत्तीसगढ़ का सबसे कम राजकोषीय घाटा 14,600 करोड़ रुपये है, जो कि इसके जीएसडीपी का 3.33 फीसदी है। 

प्रतिबद्ध खर्च

प्रतिबद्ध खर्च के दायरे में सैलरी और वेजेस, पेंशन और ब्याज भुगतान आते हैं. यानी सरकार को ये खर्च किसी भी हाल में करने जरूरी हैं. अगर इसमें बढ़ोतरी होती है, तो विकास कार्यों के लिए वित्तीय स्पेस कम हो जाता है। छत्तीसगढ़,  46.3 प्रतिशत, खर्च किया है। 
 

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