बलौदा बाजार

जातिगत समीकरण ही चला, महतारी वंदन ने भी दिखाया असर
05-Dec-2023 9:51 PM
जातिगत समीकरण ही चला, महतारी वंदन ने भी दिखाया असर

पिछले चुनाव में 65 फीसदी महिलाओं ने किया था मतदान, इस बार 74 पार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 5 दिसंबर। भाजपा भले ही जिले की तीन सीटों में से बलौदाबाजार की सीट ही जीत पाई है। पर इन तीनों सीटों पर महतारी वंदना योजना की गारंटी का खासा असर दिखा। महतारी वंदन योजना के तहत 12 हजार रुपये डाले जाने की गारंटी थी। इसका असर यह हुआ कि महिलाओं ने बढ़-चढक़र भाजपा के पक्ष में मतदान किया। जिले में पिछले चुनाव में 65 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। जबकि इस बार महिलाओं ने 74.65 प्रतिशत मतदान किया था। मतदान करने में महिलाएं लगभग पुरुषों के बराबर रही।

संदीप साहू इसलिए जीते

साहू बाहुल्य वाले इस क्षेत्र में साहू समाज के अलावा पिछड़े वर्ग के मतदाताओं ने भी इस बार संदीप साहू की पक्ष में मतदान किया। तेलघानी बोर्ड का अध्यक्ष होना भी प्रभावकारी रहा। कांग्रेस की कर्ज माफी की घोषणा का भी यहां जबरदस्त प्रभाव था।

धनीराम धीवर इसलिए हार गए

संदीप साहू के खिलाफ बाहरी कार्ड बेसर रहा, कांग्रेस के बागी उम्मीदवार गोरेलाल साहू के मैदान में उतरने से कांग्रेस को साहू वोटों के नुकसान होने की आशंका थी,पर उन्हें मात्र 5 हजार 395 वोट ही मिले और वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।

बिना किसी पूर्व योजना सहमति के प्रत्याशी बना दिया, आर्थिक रूप से चुनाव लडऩे में सक्षम न होना, मैदानी स्तर पर संगठन का पूर्ण सहयोग न मिलाना हार का प्रमुख कारण बना।

बलौदाबाजार विस में 60 फीसदी से ज्यादा ओबीसी के मतदाता

बलौदाबाजार विधानसभा में 60 फीसदी से भी अधिक ओबीसी मतदाता है, इन्हीं जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर भाजपा का यहां से ओबीसी समुदाय के प्रत्याशी पर दांव लगाया, जो सही साबित हुआ।

शहरी क्षेत्र में भाजपा की गहरी पैठ में ग्रामीण क्षेत्र से कांग्रेस को मिली बढ़त को तो पाट दिया, पर कांग्रेस जातिगत समीकरणों से मिली भाजपा की बढ़त को कम नहीं कर पाई।

बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा अपने पूरे कार्यकाल के दौरान जनपद, जिला पंचायत या नगर पालिका चुनाव सहित अधिकतर मौका पर भाजपा के साथ खड़े दिखे, लेकिन कांग्रेस से शैलेश नितिन त्रिवेदी को टिकट मिलने के बाद प्रमोद शर्मा के कांग्रेस प्रवेश कर प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार में उतरने को सवर्ण के लाभ बंद होने के तौर पर प्रचारित हुआ, जिससे ओबीसी समुदाय लामबंद हुआ, भाजपा को लाभ मिला और टंकराम वर्मा विजयी हुए।

भाटापारा सीट से इंद्र साव के जीत के ये हंै मायने

सीधा मुकाबला पिछली बार जोगी कांग्रेस को वोट देकर पछताए मतदाताओं ने इस बार इधर-उधर वोट देने की बजाय सीधे कांग्रेस को वोट किया।

2018 में कांग्रेस की सुनामी के बाद भी जीत दर्ज करने वाले तीन बार के विधायक शिवरतन शर्मा को प्रदेश में भाजपा के पक्ष में चल रहे अंडर करंट का जितना फायदा नहीं मिला, उससे अधिक नुकसान सरकार विरोधी लहर से पहुंचा। सत्ता पक्ष का विधायक होते हुए भी भाटापारा को स्वतंत्र जिला नहीं बन पाया।

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