बस्तर

फ्रांस से पहली बार दंपत्ति पहुँचे बस्तर, खाई चींटी की चटनी
29-Jan-2024 8:37 PM
फ्रांस से पहली बार दंपत्ति पहुँचे बस्तर,  खाई चींटी की चटनी

  कुछ लोगों ने दी भ्रामक जानकारी, लेकिन बस्तर पहुँच हुए खुश  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 29 जनवरी। बस्तर में प्रति वर्ष हजारों विदेशी सैलानी बस्तर की प्रकृति के साथ ही यहां के रहन सहन के साथ ही यहां की संस्कृति को देखने के लिए आते रहते हंै, लेकिन इस बार पहली बार फ्रांस से पहुँचे सामाजिक सेवा करने वाले दंपत्ति यहाँ के रहन सहन से काफी खुश होने के साथ ही लाल चींटी की चटनी खाई।  साथ ही बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों के लोगों के साथ रहकर काफी इंजॉय किया औरबस्तर दुबारा आने की बात भी कही। 

बताया जा रहा है कि मर्लिन, उनके पति एरिक, वेरोनिक, क्लाउड एवं मेरी पहली बार बस्तर आए, क्लाउड और मेरी 85 वर्ष के होने के साथ ही फ्रांस में सामाजिक सेवा के क्षेत्र में लागातार सक्रिय होने के साथ ही कार्य भी कर रहे थे, ये सभी फ्रांसीसी सैलानी अक्सर पांडिचेरी आते रहते हैं और अपनी छुट्टियां यहीं बिताते थे, लेकिन पर इस बार जब वे गुगल मैप से आसपास के पर्यटन क्षेत्र की खोजबीन कर रहे थे, तो उन्हें कांगेर वेली पर जानकारी मिली, तो बरबस ही यहाँ आने का निश्चय भी किया, वे गूगल के माध्यम से इस क्षेत्र की जानकारी इक_ा कर रही थीं तब उन्हें यहां की संस्कृति, बाज़ार, मेले-मड़ाई के अलावा अतिरिक्त नक्सलवाद से संबंधित जानकारी भी मिली।

पांडिचेरी के स्थानीय लोगों से जब बस्तर जाने की बात कही तो अधिकांश लोगों ने उन्हें बस्तर न जाने व गलत भ्रामक जानकारी भी दी, इसी मध्य उन्हें बस्तर ट्राइबल होमस्टे के विषय में भी पता चला तो वे शकील रिज़वी से संपर्क किया, और विस्तारपूर्वक बस्तर के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई और उन्हें बस्तर आने का न्योता दिया। 

सभी सैलानी 22 जनवरी को बस्तर पहुँचे। बस्तर के करपावण्ड ग्राम का मेला, तीरथगढ़, चित्रकोट, दरभा और नानगुर का बाज़ार, एंथ्रोपोलॉजी म्यूजियम के साथ स्थानीय कलाकार महेश सागर से मिलने भी पहुंची।

बस्तर ट्राईबल होमस्टे में रह कर उन्होंने स्थानीय भोजन का आनंद लिया, कांगेर वेली स्थित गुडिय़ापदर व बामनारास में गोंड व धुरवा जनजाति समाज की जीवनशैली व नृत्य को देखा और बेहद सराहा भी, बस्तर की लाल चींटी की चटनी का भी आनंद लिया। 

26 जनवरी को  सैलानियों के द्वारा नियानार माध्यमिक विद्यालय में जाकर गणतन्त्र दिवस के कायक्रम को देखा और बच्चों का उत्साह वर्धन किया और बस्तर कला गुड़ी में तमन्ना जैन और उनके छात्रों से मिलकर बस्तर पेंटिंग भी देखी।

बस्तर ट्राईबल होमस्टे वर्ष 2006 से संचालित है, और प्रतिवर्ष फ्रांस,इटली,जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड, इंग्लैंड, जापान, चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की आदि के पर्यटकों की पसंदीदा जगह है, बस्तर ट्राईबल होमस्टे, छोटेबोदल (नानगुर) में स्थित है, जो जगदलपुर शहर से मात्र 18 किमी की दूरी पर स्थित है, सभी सैलानियों का यह मानना था कि भारत का यह क्षेत्र नितांत ऐसा क्षेत्र है, जहाँ न केवल संस्कृति,कला और शानदार जीवन शैली है, वरन साल वनों से आच्छादित यह क्षेत्र सुंदर जलप्रपात, पशु पक्षियों और फ़्लोरा फोना से परिपूर्ण है, यहां का पारिस्थितिक तंत्र बेहद नाज़ुक है और इसे सहेजने की भी आवश्यकता है।

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