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महासमुंद संसदीय सीट: कभी साहू प्रत्याशी ने कांग्रेस का विजय रथ रोका था, इस बार भाजपा का विजय रथ रोकने उतारा गया
12-Mar-2024 2:26 PM
 महासमुंद संसदीय सीट: कभी साहू प्रत्याशी ने कांग्रेस का विजय रथ रोका था, इस बार भाजपा का विजय रथ रोकने उतारा गया

भाजपा और कांग्रेस के बीच रोचक मुकाबला शुरू 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद,12 मार्च।
महासमुंद में कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी का एलान होते ही यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच रोचक मुकाबला शुरू हो चुका है। हर बार की तरह इस बार भी महासमुंद सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प है। 

कांग्रेस के विजय पर लगााम लगाने यहां कभी भाजपा ने साहू समाज से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था। आज जब भाजपा लगातार जीत की ओर है, ऐसे में अब कांग्रेस ने भी यहां से भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए साहू प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। यहां से भाजपा ने इस बार बसना क्षेत्र की ओबीसी वर्ग की महिला रूप कुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस ने नहले पर दहला फेंकते हुए ओबीसी वर्ग से ही साहू समाज के ताम्रध्वज साहू को अपना प्रत्याशी बनाया है। 

राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि ताम्रध्वज साहूू को महामसुंद से टिकट देना भाजपा के खेल बिगाडऩे की कोशिश है। हालांकि प्रत्याशी तय होते ही दोनों पार्टी में नाराजगी भी खुल कर सामने आ रही हैं। कांग्रेस से दावेदारी कर पीसीसी के प्रदेश महामंत्री रहे किसान नेता चंद्रशेखर शुक्ला ने कांग्रेस छोडक़र पार्टी को झटका दे दिया है। कांग्रेस में साहू समाज से स्थानीय दावेदार माने जा रहे धनेंद्र साहू को टिकट नहीं दिया गया। अब उनके समर्थक खुलकर ताम्रध्वज साहू को पैराशूट लैंडिंग कहकर विरोध कर रहे हैं।

महासमुंद में साहू समाज से भाजपा के 4 बड़े चेहरे की अनदेखी की आग भी भीतर ही भीतर सुलग रही है। भाजपा सत्ता में है। इसलिए खुलकर कोई भी सामने नहीं हैं। भाजपा में इस वक्त सख्त अनुशासन के कारण लोगों की नाराजगी खुल कर सामने नहीं आ रही है। हाल ही में निपटे विधानसभा चुनाव में मिले मतों के लिहाज से भाजपा से ज्यादा वोट कांग्रेस के पास है। इस लोकसभा सीट में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस संसदीय क्षेत्र में दोनों दलों भाजपा और कांग्रेस से 4-4 विधायक हैं। लेकिन वोट की बात करें तो कांग्रेस पार्टी अपनी प्रतिदंवदी भाजपा कांग्रेस से खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश, धमतरी के ओंकार साहू, बिंद्रांवागढ़ के जनक ध्रुव, सरायपाली से विधायक बनी चातुरीनंद को मिलाकर कांग्रेस ने कुल 6 लाख 97 हजार 187 वोट हासिल किए हैं। वहीं भाजपा से कुरूद विधायक अजय चंद्राकर, बसना के संपत अग्रवाल, राजिम के रोहित साहू, महासमुंद के योगेश्वर राजू सिन््हा मिलकर 6 लाख 87 हजार 909 मत हासिल कर सके। इस तरह कांग्रेस, भाजपा की तुलना में 9 हजार 278 वोटों से आगे है।

सन 1957 से अब तक महासमुंद सीट से 18 सांसद बने हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 7 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल के नाम दर्ज है। लोकप्रियता ऐसी थी कि 1989 का चुनाव वे जनता दल के बैनर से लड़े और भाजपा.कांग्रेस दोनों को अपना लोहा मनवाया। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर ब्रेक लगाने के लिए 1991 में चंद्रशेखर साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन संत पवन दीवान की लोकप्रियता को कांग्रेस ने भुना लिया था। 

1996 में भी दोनों का आमना-सामना हुआ। इस बार भी फायदा कांग्रेस को हुआ।  लेकिन तीसरी बार 1998 के चुनाव में पवन दीवान को मात देने में चंद्रशेखर साहू सफल रहे। कांग्रेस ने 1999 में श्यामाचरण शुक्ल, 2004 में अजीत जोगी जैसे नेता को उतार सीट को बचाती रही। लेकिन 2009 के बाद लगातार साहू प्रत्याशी महासमुंद सीट पर भाजपा का परचम लहराते रहे। 

2009 और 2014 में लगातार चंदू लाल साहू, 2019 में चुन्नीलाल साहू सर्वाधिक 50.42 प्रतिशत मत लेकर सांसद बने। इस दौर में मोदी लहर शुरू हो चुका था। लिहाजा कांग्रेस से प्रत्याशी बने धनेंद्र साहू को 43.02 प्रतिशत वोट में ही संतोष होना पड़ा। 

इस बार कहा जा रहा है कि कांग्रेस यहां अतर्कलह का फायदा उठा सकती है। क्योंकि दुर्ग के बाद सबसे बड़े साहू समाज का वोट बैंक महासमुंद लोकसभा में हैं। राजिम, धमतरी, महासमुंद, खल्लारी और कुरूद इन 5 विधानसभा सीटों पर साहू समाज का ज्यादा प्रभाव है। 

वर्तमान सांसद चुन्नीलाल साहू, दो बार के सांसद चंदूलाल साहू, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू के अलावा संघ की ओर से सिरकट्टी आश्रम के पीठाधीश्वर गोवर्धन शरण ब्यास जो साहू समाज से आते हैं, की दावेदारी थी। इस तरह साहू समाज के 4 बड़े चेहरे को दरकिनार कर पार्टी ने इस बार महिला वंदन का कार्ड खेल दिया। इससे साहू समाज में नाराजगी भी है। इस आग को हवा देकर कांग्रेस अपनी रोटी सेंकने में कामयाब हो सकती है, या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। बहरहाल यहां दोनों की दलों में बराबरी पर चुनाव प्रचार जारी है। 
 

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