महासमुन्द
कबीर आश्रम में सत्संग समारोह
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,12 मार्च। रायपुर रोड स्थित कबीर आश्रम में चल रहे सत्संग समारोह में मुख्य वक्ता कबीर निर्णय मंदिर बुरहानपुर मप्र के संत अमोही साहेब थे। उन्होंने कहा कि सत्संग से बच्चों में संस्कार और युवाओं में विवेक तथा बुजुर्गों में धैर्यता आता है। सत्संग की जरूरत पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को हैं। क्योंकि पुरूष धन उपार्जन कर घर लाता है। लेकिन माताओं को उस धन के सदपयोग, अतिथि सत्कार,बच्चों के संस्कार,घर की साफ. सफाई और कमजोर को सम्भालने जैसे पांच प्रमुख कार्य करना होता है।
उन्होंने आगे बताया कि यदि पति की मृत्यु हो जाए तो माताएं अपने बच्चों को परिवरिश कर बच्चों को सही मार्ग के लिए प्रेरित करती हैं। लेकिन पुरूष महिलाओं का एक भी काम ठीक से नहीं कर सकते। उसके बावजूद पुरूष प्रधान समाज महिलाओं को कमजोर और अबला समझने की भूल कर रही है। महिलाएं स्वतंत्र हुई तो सभी क्षेत्रों में उनका वर्चस्व कायम हो रहा है। अंतरिक्ष में महिलाएं परचम लहराने के साथ ही विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की कर रही हैं। इसलिए घर.परिवार को सद्मार्ग में ले जाने के लिए पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को सत्संग की आवश्यकता है।
अमोही साहेब ने कहा कि बच्चे हाथ.पैर मारते हैं। युवा हाथ और विवेक चलाते हैं। और बुढ़ापे में मुंह ज्यादा चलता है। क्योंकि बुढ़ापे में न हाथ चलता है, और न विवेक काम करता है। किंतु मुंह जब ज्यादा चले तो परेशानियां आती है। इसलिए बच्चे, युवा और बुजुर्ग जब सत्संग का सहारा लेते हैं तो बच्चों में संस्कार और युवाओं में विवेक जागृत होता है। तथा ईमानदारी पूर्वक परिश्रम कर धन लाभ की दिशा में युवा आगे बढ़ते हंै। इसी तरह बुजुर्ग अवस्था में सर्वाधिक जरूरत मौन और धैर्य रखने की है। यदि बुजुर्ग व्यक्ति मौन रहे और जो मिले वह ग्रहण कर ले तो सभी उसे स्नेह भाव से देखेंगे। उन्होंने रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण में सर्वश्रेष्ठ सतोगुण को बताया।