महासमुन्द

धान खरीदी के माह भर बाद भी उठाव नहीं
14-Mar-2024 2:15 PM
धान खरीदी के माह भर  बाद भी उठाव नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,14 मार्च। जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को माह भर से ज्यादा समय के बाद भी अभी तक उठाव नहीं हो सका है। धान का उठाव नहीं होने से अब समिति प्रबंधकों को सूखत की चिंता सता रही है। धान खरीदी नीति के अनुसार खरीदी होने के 72 घंटे के अंदर उपार्जन केंद्र से धान का उठाव किया जाना हैए लेकिन जिले के 181 खरीदी केंद्रों में करीब 9.55 लाख क्विंटल धान जाम है। मिलर्स को डीओ ही जारी नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण परिवहन भी नहीं हो रहा है। सभी खरीदी केंद्रों में अब परिवहन को लेकर फड़ प्रभारी परेशान हैं। जिसे लेकर कई बार उपपंजीयक कार्यालय में बैठक भी हो चुकी है। बावजूद केवल आश्वासन मिला है।

मालूम हो कि धान की खरीदी शासन की नीतियों के तहत 17 प्रतिशत की नमी पर किया जाता है, लेकिन गर्मियों में धान सूखकर 10 प्रतिशत के नीचे चला जाता है। जिसका खामियाजा समिति के कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। बीते 1 नवंबर से शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी शुरू की गई थी। 31 जनवरी तक खरीदी की जानी थी, लेकिन समय-समय पर मौसम खराब होने के कारण धान खरीदी न होने से अंतिम तिथि बढ़ाकर 4 फरवरी किया गया था। इस साल जिले के पंजीकृत 158756 पंजीकृत किसानों में से 152515 किसानों से 113 लाख क्विंटल धान खरीदा गया।

अब तक करीब 103 लाख क्विंटल धान का उठाव हो गया है। जिले में कुल 182 उपार्जन केंद्र हैं। इसमें केवल एक ही शून्य हो पाया है। जिले के 181 उपार्जन केंद्रों में 9 लाख 55 हजार क्विंटल धान शेष है। 16 उपार्जन केंद्र ऐसे हैं, जहां प्रत्येक में 20 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव नहीं हुआ है। वहीं 41 केंद्रों में 10 हजार क्विंटल से अधिक शेष है।

सहकारी समिति कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने कहा कि धान में सूखत आना स्वाभाविक,यह गंभीर समस्या है, जिससे समिति में पदस्थ कर्मचारी तनाव में होते हैं। धान की खरीदी शासन की नीतियों के तहत 17 प्रतिशत की नमीं पर किया जाता है, लेकिन गर्मियों में धान सूखकर 10 प्रतिशत के नीचे चला जाता है। जिसका खामियाजा समिति के कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। शासन को खरीदे धान पर सूखत का भुगतान किया जाना चाहिए।

 समय पर धान का उठाव न होने से उसके रख रखाव समय पर धान का उठाव न होने से उसके रखरखाव में समिति प्रभारियों को परेशानी उठानी पड़ती है।  नियमानुसार धान खरीदी के 72 घंटे के अंदर उक्त धान का खरीदी केंद्रों से उठाव हो जाना चाहिए, लेकिन प्रतिवर्ष धान उठाव को लेकर लापरवाही देखी जाती है। कभी भी उपार्जन केंद्रों से समय पर धान का उठाव नहीं हो पाता। जिससे खरीदी प्रभारियों व समिति कर्मचारियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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