महासमुन्द
दोनों पक्षों ने आयु पूर्ण होने के बाद शादी कराने का दिया आश्वासन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,16 मार्च। महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने बिजराभांठा में एक 16 वर्षीय नाबालिग लडक़ी की शादी रूकवा दी।
टीम ने लडक़ी के परिजनों को तत्संबंध में समझाइश देकर 21 वर्ष से कम आयु के लडक़े व 18 वर्ष के कम आयु की लडक़ी की शादी को बाल विवाह की श्रेणी में आना बताकर इसे अपराध बताया। टीम बाद में लडक़े के घर चंदखुरी भी गई। वहां भी परिजनों को समझाया। दोनों पक्षों ने टीम को लडक़े के 21 और लडक़ी की 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ही शादी कराने का आश्वासन दिया।
महिला एवं बाल विकास विभाग बसना के परियोजना अधिकारी चन्द्रहास नाग ने बताया कि सूचना पर तत्काल बिजराभांठा पहुंचकर सेक्टर पर्यवेक्षक पुष्पा राज, सरपंच कुमार सिंह चौधरी, आयु संबंधित दस्तावेज को जांच कर बताने कहा गया। जिस पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने लडक़ी के जन्म संबंधित दस्तावेज में लडक़ी की जन्मतिथि 13 जनवरी 2008 पाया। जिसके आधार पर उम्र 16 वर्ष 02 महीने पाये जाने पर परिजनों को बताया गया कि अभी आपकी बेटी बालिग नहीं है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रश्मि बरिहा, क्रिस्टीना गरुढ़, प्रधान आरक्षक राजेश कुमार सोनी, आरक्षक हरीशचंद्र खूंटे, युचन्द बंशे, पूर्व सरपंच संतराम नायक ने समझाइश देकर पंचनामा कराया तथा 18 वर्ष पूर्ण होने पश्चात विवाह करने हेतु निर्देश दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि कम उम्र में लडक़ी की शादी नहीं करा सकते।
महिला बाल विभाग की टीम ने नाबालिग लडक़ी के परिजनों को समझाया कि बाल विवाह बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता है। जिस लडक़ी की शादी कम उम्र में होती है, उसे घरेलू हिंसा तथा एचआईवी एड्स का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान गंभीर समस्याओं के कारण अक्सर नाबालिग लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती हैं। बताया गया कि कम उम्र में लडक़ीकी शादी की तो यह अपराध है और इसमें 2 वर्ष की सजा का प्रावधान है।