महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 22 मार्च। नगर में होली के करीब आते ही रंग- गुलाल एवं नगाड़े की दुकानें सज कर तैयार है, परन्तु अभी त्योहारी-बिक्री प्रारम्भ नहीं हुई है, जिससे दुकानदारों के चेहरों पर निराशा दिखाई दे रही है।
होली त्योहार को मात्र दो दिन बाकी है। रंग गुलाल के साथ नगाड़ों की दुकानें दर्जनों की संख्या में लगी है। नगर के बस स्टैंड, बार चौक, अग्रसेन चौक, ओवरब्रिज सहित इस बार सभी मुहल्लों के खुदरा व्यापारी भी रंग गुलाल की बिक्री कर रहे हंै।
इसके पहले के वर्षों में किसी भी पर्व की खरीदी के लिए आसपास के ग्रामों के लोग नगर की दुकानों में पहुंचते थे, परन्तु इस बार नगर में ही त्योहारों के लिए आवश्यक सामग्री करीब आधा दर्जन व्यवसायी थोक में बेच रहे हंै, लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों में भी होली के लिए आवश्यक सामग्री गांव-गांव तक पहुंच चुकी है जिसे ग्रामीण अपने ग्राम में ही आसानी से खरीद रहे हंै। शायद यही कारण है कि नगर के विभिन्न क्षेत्रों में लगने वाली खुदरा दुकानें इस बार सुनी है। नगर में भी ग्राहकी के अभाव में सन्नाटे जैसा माहौल है। बहरहाल पूर्व में होली, रक्षाबंधन एवं दीवाली के पर्व में सीजनी व्यापार कर अपनी साल भर की आजीविका आसानी से चला लेते थे, परन्तु अब बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने इस तरह के काम करने वालो को भी संकट में डाल दिया है।
नगाड़ा पुराने दामों में ही बिक रहा
लागत एवं मेहनत बढऩे के बावजूद इस वर्ष बस स्टैंड में प्रतिवर्ष नगाड़ा बेचने आने वाली मुन्नी बाई मेहर ने बताया कि खपत नहीं होने के कारण वे नगाड़ा पुरानी दर पर ही बेच रही है।
मुन्नी बाई के अनुसार वे विगत माह भर से सपरिवार मेहनत कर नगाड़ा बना रहे है।डेढ़ माह में इस परिवार ने कोई 90 नग छोटे एवं 20 नग बड़े नगाड़े बनाये है।जिसे वे विगत वर्ष की तरह: क्रमश: 100 से 110 एवं 500 से 550 रुपये तक बेच रही है।इससे होने वाली आमदनी को ये परिवार सुख दुख के कार्यों में खर्च करता है जबकि वे स्वयं अपने पति के साथ एनएच में सडक़ मरम्मत एवं डिवाइडर के बीच लगे पौधों को पानी देने का काम कर अपनी आजीविका चला रहे हंै।