राजनांदगांव

नांदगांव संसदीय इतिहास के 67 साल में एकमात्र महिला सांसद रही पदमावती देवी
29-Mar-2024 1:13 PM
नांदगांव संसदीय इतिहास के 67 साल में एकमात्र महिला सांसद रही पदमावती देवी

एमपी की पहली महिला मंत्री का रिकॉर्ड भी पदमावती के नाम

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 29 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। राजनांदगांव संसदीय इतिहास में एकमात्र महिला सांसद के तौर पर खैरागढ़ राजघराने की बहू स्व. पदमावती देवी के नाम रहा। यह रिकार्ड आज पर्यन्त बरकरार है। गुजरे 67 साल में राजनीतिक दलों ने दोबारा किसी महिला को बतौर उम्मीदवार चुनावी रण में भेजने की जहमत नहीं उठाई। 

 1967 को हुए लोकसभा के चुनाव में रानी पदमावती ने एक बड़े अंतर से भाकपा के पी. राय को एकतरफा 86 हजार 440 वोटों से मात दी। इससे पहले खैरागढ़ की बहू स्व. पदमावती अविभाजित मध्यप्रदेश में बतौर विधायक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही थी। 

1952 से 1967 तक वह विधायक निर्वाचित होकर क्षेत्र के विकास में सक्रिय रही। शिक्षा के प्रति गहरी सोच रखने वाली पदमावती देवी ने नांदगांव संसदीय क्षेत्र के इतिहास में पहली बार कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ते हुए शानदार जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस ने भी किसी महिला को आम चुनाव के लिए प्रत्याशी नहीं बनाया। एकमात्र सांसद के तौर पर उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए। 

खासतौर पर शिक्षा और संगीत के क्षेत्र में उनका गहरा लगाव रहा। यही कारण है कि खैरागढ़ में अपनी बेटी राजकुमारी इंदिरा के नाम पर एक महल को उन्होंने राज्य सरकार को इस शर्त पर सुपुर्द कर दिया कि एशिया का पहला संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना उनकी बेटी के नाम पर हो। उनके लगन की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने 14 अक्टूबर 1956 को संगीत विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। पदमावती देवी के नाम अविभाजित मध्यप्रदेश की पहली महिला मंत्री बनने का गौरव हासिल है।

 1967 के आम चुनाव में पदमावती देवी को एक लाख 32 हजार 444 मत मिले। जबकि उनके प्रतिद्वंदी पी. राय को 46 हजार 4 वोट प्राप्त हुए। इस तरह इस चुनाव में पदमावती देवी ने भारी मतों से जीत हासिल की। खैरागढ़ राजघराने की बहू बनी पदमावती देवी मूलत: उत्तरप्रदेश के राजघराने की है। 

16 वर्ष की उम्र में उनका विवाह खैरागढ़ राजपरिवार के स्व. बिरेन्द्र बहादुर के साथ हुआ था। खैरागढ़ रियासत की सदस्य बनने के बाद से पदमावती देवी ने जनहित को लेकर हमेशा सक्रिय रहीं। उनका नजरिया शिक्षा-दीक्षा को लेकर स्पष्ट था। वह पढ़ाई-लिखाई के लिए क्षेत्र के लोगों को हमेशा प्रोत्साहित करती रही। 

दिवंगत देवव्रत सिंह की दादी पदमावती देवी का निधन 12 अप्रैल 1987 को हुआ। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र की एकमात्र महिला सांसद रही पदमावती देवी की राष्ट्रीय राजनीति में अच्छी पकड़ रही। अब तक उनके नाम एकमात्र महिला सांसद होने का रिकार्ड दर्ज है।

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