रायपुर

पेंशनरों को 4 फीसदी डीआर जुलाई 23 से देने चुनाव आयोग से अनुमति लेकर गलती सुधारे सरकार
04-Apr-2024 8:22 PM
पेंशनरों को 4 फीसदी डीआर जुलाई 23 से देने चुनाव आयोग से अनुमति लेकर गलती सुधारे सरकार

पेंशनरों ने चेताया चुनाव में होगा असर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 3 अप्रैल। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने छत्तीसगढ़ सरकार को सलाह दिया है कि राज्य के पेंशनर्स और कर्मचारियों को जुलाई 23 से 4 फीसदी डीए डीआर देने चुनाव आयोग से अनुमति लेकर अपनी गलती सुधार करे। अन्यथा इसका असर लोकसभा चुनाव हो सकता है इस पर ध्यान देना होगा।

एक  विज्ञप्ति में पेंशनर महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी मिश्रा, प्रदेश महामंत्री अनिल गोल्हानी, कोषाध्यक्ष बी एस दसमेर ने आगे बताया है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व भूपेश बघेल सरकार ने 4 फीसदी डीए डीआर देने हेतु चुनाव आयोग से अनुमति लेने में देरी तो किया ही परंतु अनुमति मिलने के बाद भी कर्मचारियों और पेंशनरों को जुलाई23 से बकाया 4 फीसदी डीए डीआर नहीं दिया। इसका असर हुआ कि कर्मचारियों ने चुपचाप और पेंशनरों ने खुलकर विरोध में काम किया जिसके कारण भूपेश बघेल सरकार निपट गई। उसी बकाया 4 फीसदी डीए डीआर की किस्त को विष्णुदेव साय सरकार ने भी काफी विलम्ब से ठीक लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लागू होने के पूर्व आदेश जारी तो किया मगर पूरा एरियर राशि हजम कर लिए। जिसे लेकर कर्मचारियों में घोर आक्रोश है।

वर्तमान में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्य में डबल इंजन की सरकार है। दोनों राज्य के विधानसभा में मोदी गारंटी वाली घोषणा पत्र में केंद्र द्वारा घोषित तिथि से राज्य में भी डीए डीआर देने का उल्लेख है। मध्यप्रदेश सरकार ने मोदी की गारंटी के तहत राज्य के कर्मचारियों जुलाई 23 से डीए देने का आदेश जारी कर पेंशनरों को भी जुलाई 23 से डीआर देने हेतु पत्र भेजकर सहमति की मांग किया परंतु छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने जुलाई 23 के स्थान पर मार्च 24 से सहमति देकर दोनो राज्य में पेंशनर तथा परिवार पेंशनरों का 8 माह डीआर का एरियर हजम कर दिया।

उल्लेखनीय हैं कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा49 के तहत पेंशनरो के आर्थिक दायित्वों का  दोनों राज्यों के बीच बटवारा नहीं होने के कारण संयुक्त रूप से 74: 26 अनुपात में बजट का भार वहन करना होता है और इसके लिए आपस में सहमति की जरूरत होती है कोई भी एक राज्य सरकार अपनी मर्जी से पेंशनरों को डीआर का भुगतान करने में सक्षम नहीं है। यह स्थिति 24 साल से बनी हुई है और दोनों राज्य सरकार के बीच सहमति नहीं होने का खामियाजा दोनों राज्यों के 6 लाख से अधिक पेंशनर भुगत रहे हैं जिसमे 1 लाख से अधिक पेंशनर छत्तीसगढ़ राज्य से शामिल हैं।

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