महासमुन्द

क्यूआर कोड स्कैन करते ही पेड़ खुद ही बताएंगे
14-Apr-2024 10:25 PM
क्यूआर कोड स्कैन करते ही पेड़ खुद ही बताएंगे

किस बीमारी के इलाज में हो सकते हैं उपयोगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,14 अप्रैल। जिले कुलदीप निगम स्कूल नर्रा के व्याख्याता की अनूठी पहल में एक दूसरी बात भी सामने आई है कि क्यू आर कोड स्कैन  करते ही पेड़ खुद ही बताएंगे किस बीमारी के इलाज उनका उपयोग हो सकेगा।

कल ‘छत्तीसगढ़’ में यह खबर प्रकाशित हुई थी कि नर्रा स्कूल के 18 पेड़ों में क्यू आर कोड लगाया गया है। अत: इन पेड़ों में लगे क्यू आर कोड को स्कैन करते ही मोबाइल धारक को उक्त पेड़ की सारी़ जानकारी मिल जाएगी। 

शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नर्रा के प्राचार्य ने ‘छत्तीसगढ़’ को फोन पर बताया-नर्रा स्कूल में पदस्थ व्याख्याता नीलिमा भोई ने प्राचार्य सुबोध कुमार तिवारी के मार्गदर्शन में विद्यालय में स्थित माइक्रोफोरेस्ट में लगे वृक्षों में क्यू आर कोड चस्पा किया है। जिसे मोबाइल से स्कैन करते ही उस वृक्ष की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जायेगी।

हम डिजिटल युग में हैं इसलिए स्कूल के गार्डन को भी डिजिटल कर रहे हैं। इसके लिए व्याख्याता ने शाला प्रांगण में बने माइक्रो फॉरेस्ट के प्रत्येक वृक्ष का विस्तृत जानकारी तैयार कर, प्रत्येक वृक्ष के लिए अलग-अलग क्यू आर कोड बनाया। इस क्यू आर कोड को संबंधित वृक्षों पर चस्पा किया गया है। क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करते ही प्रत्येक वृक्ष के सामान्य नाम, स्थानीय नाम, वानस्पतिक नाम, फैमिली क्लासिफिकेशन, उसके लगाने का वर्ष, स्थान, उसके उपयोग आदि की जानकारी आसानी से मोबाइल पर उपलब्ध हो जाएगी।

संस्था के प्राचार्य सुबोध कुमार तिवारी ने बताया कि हमारे आस पास अनेक पेड़ पौधे हैं। प्रकृति ने इन्हेंं औषधीय गुणों से परिपूर्ण किया है, परंतु जानकारी के अभाव में हम इनका सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। पौधो के औषधीय उपयोग की पुस्तकें भी उपलब्ध है। हमारे

व्याख्याता के इस अनूठे पहल से क्यू आर कोड स्कैन करते ही परिसर के गार्डन में लगे पौधो के बारे में सभी जानकारी सहित उनके औषधीय  उपयोग की भी सही जानकारी आपके मोबाइल पर तुरंत ही आ जायेगी। इससे परिसर में इन पौधों को कब लगाया गया है इसकी आयु की जानकारी भी मिल जाएगी।

18 पेड़ों का डिजिटलीकरण

प्राचार्य ने बताया कि इस माइक्रो फॉरेस्ट की सराहना केरल के राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कॉन्क्लेव में भी वैज्ञानिकों ने की है। अब इसका डिजिटलीकरण किया जा रहा है। अभी शाला के माइक्रो फॉरेस्ट के औषधीय पौधों सहित 18 पेड़ों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। आगे शाला परिसर में स्थित सभी पेड़ों का क्यू आर कोड बनाया जाएगा।

साइन बोर्ड के खर्चे को बचाया जा सकता है

व्याख्याता नीलिमा भोई शाला के विज्ञान क्लब की प्रभारी हैं तथा विज्ञान क्लब के विद्यार्थियों के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को परीक्षा और चुनाव के बीच पूर्ण किया गया है।

उन्होंने बताया कि आज सभी के हाथ में स्मार्ट फोन है। अत: तकनीक के प्रयोग से वृक्ष की जानकारी के लिए लगाए जाने वाले साइन बोर्ड के खर्चे को बचाया जा सकता है।

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