महासमुन्द

जोंक बैराज के लिए 10 साल पहले 90 करोड़ मंजूर हुए थे पर काम शुरू नहीं
22-Apr-2024 2:54 PM
जोंक बैराज के लिए 10 साल पहले 90 करोड़ मंजूर हुए थे पर काम शुरू नहीं

50 गांव के किसानों के करीब 10 हजार एकड़ से भी अधिक खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलता  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 22 अप्रैल।
महासमुंद लोकसभा चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशी ने जोंक नदी बैराज बनाने को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई है। किसी ने भी इसके निर्माण कार्य को अपना मुद्दा नहीं बनाया। इस बैराज की घोषणा 27 साल पहले तत्कालीन सांसद विद्याचरण शुक्ल ने की थी। इसे बनाने के लिए लगभग एक सौ करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसके लिए आज से 10 साल पहले 90 करोड़ रुपए मंजूर हुए। काम शुरू भी हुआ। पैसे भी जारी किए गए। नारियल तोडक़र इसके काम का शुभारंभ भी हुआ लेकिन फिर भी इस पर काम शुरू नहीं हुआ। अब यह ठंडे बस्ते में है। अब तो कोई यह भी नहीं पूछता कि जोंक बैराज का क्या चल रहा है। अब यह पूरी तरह ठंडे बस्ते में चला गया है। इस ठंडे पड़े मामले को बार फिर से जिले के लोगों तक पहुंचाने के लिए जानकारी प्रकाशित की जा रही है। 

कहा जाता है कि इसके पूर्ण हो जाने से क्षेत्र के करीब 50 गांव के किसानों को लाभ होगा और करीब 10 हजार एकड़ से भी अधिक खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। लगभग सौ करोड़ रुपए की लागत से जोंक नदी पर जोंक बैराज का निर्माण कार्य पांच साल पहले शुरू होते-होते रह गया। यदि उस वक्त इस बैराज का निर्माण कार्य शुरू होता तो इसके पूर्ण होने में दो साल का समय और लग सकता था। इसके पूर्ण होते ही आसपास के गांवों के किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए पानी मिलने लग जाता। 

जानकारी के मुताबिक विगत 27 वर्षों से लंबित लोअर जोंक परियोजना ने अब तक मूर्तरूप नहीं लिया है। क्षेत्रवासियों को लंबे समय से इस परियोजना के निर्माण होने का इंतजार था। लेकिन अब लोगों ने इसका इंतजार करना बंद कर दिया है। इस निर्माण कार्य को जल संसाधन विभाग द्वारा किया जाना था। इसके  बायीं तट की ओर भी नहर के निर्माण के लिए करीब 37 करोड़ रुपए की अतिरिक्त स्वीकृति मिली थी। जिसका सर्वे का काम अभी तक शेष है। सर्वे पश्चात भूमि अधिग्रहण किया जाना था। इस ओर भी 15 से 20 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया जाना था। इस ओर कौन-कौन से गांव लाभान्वित होंगे, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।

बताया जाता है कि पच्चीस वर्षों पूर्व कांग्रेस के शासन काल में महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के तत्कालीन सांसद स्व. विद्याचरण शुक्ल के प्रयासों से इस परियोजना की स्वीकृति मिली थी। जिसके सर्वे में ही उन दिनों में लगभग पांच लाख रुपए खर्च हो गए थे। चूंकि यह बहुत बड़ी परियोजना थी और क्षेत्र का बड़ा भाग इससे लाभान्वित हो रहा था। इसके डूबान में छत्तीसगढ़ के कुछ गांवों के अलावा ओडिशा का सीमावर्ती भाग भी आ रहा था। ओडिशा के जंगलों को बड़ा नुकसान हो रहा था। लिहाजा इस परियोजना को लेकर ओडिशा सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्रालय में आपत्ति दर्ज करा देने के बाद उक्त जोंक परियोजना का कार्य स्थगित हो गया था।

बाद में क्षेत्रवासियों की लगातार मांग एवं दबाव के चलते इस परियोजना को संशोधित कर बैराज का स्वरूप देकर केंद्रीय मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा गया। केंद्रीय मंत्रालय से लगभग सौ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस बैराज परियोजना निर्माण की मंजूरी दे दी। जिसका निर्माण कार्य शुरू भी हुआ था जो चंद दिनों के बाद ही फिर से बंद हो गया। 
इस बैराज के दायीं तट की ओर बनने वाले 15 किलोमीटर लंबी नहर से प्रथम चरण में लगभग 15 गांव के किसान लाभान्वित होते। 

जिसमें ग्राम परसवानी, छाता मोहा, माटीदरहा, सागुनढाप, सागुनढाप टुकड़ा, राजाकटेल, बीजेपुर, उतेकेल, लोहारीन डोंगरी, सांकरा, पिपरौद, सानटेमरी, बड़े टेमरी, देवसराल आदि शामिल है। वहीं बायीं तट की ओर भी नहर के निर्माण के लिए करीब 37 करोड़ रुपए की अतिरिक्त स्वीकृति मिली थी। जिसका सर्वे का काम भी अभी शेष है। सर्वे पश्चात भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। इस ओर भी 15 से 20 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा। जिससे इस क्षेत्र के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा। किंतु कौन-कौन से गांव लाभान्वित होंगे, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।

गौरतलब है कि महासमुंद जिले के इस क्षेत्र को ड्राई एरिया के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में आम तौर पर दो से तीन सौ फीट नीचे तक जल घट गया है। कहा जा रहा था कि जोंक बैराज में जलभराव प्रारम्भ होने से क्षेत्र में जल स्तर बढ़ेगा और सूख कर बंद हो चुके बोर पुन: प्रारम्भ हो जाएंगे। गांवों के हैंडपम्पों में भी आसानी से पानी मिलना प्रारंभ हो जाएगा। जोंक बैराज इस क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी के रूप में स्थापित होगा और लगातार सूखे की मार झेल रहे किसानों को इससे बड़ी राहत मिलेगी। क्षेत्र के किसान खरीफ  फसलों के अलावा रबी के फसल भी आसानी से ले सकेंगे। इस बैराज में करीब पांच किलोमीटर तक जलभराव होगा। इस क्षेत्र के किसान भी लिफ्ट इरिगेशन से खेतों की सिंचाई कर फसल ले सकेंगे। 

लगभग 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले जोंक बैराज का कंस्ट्रक्शन वर्क जून 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य था। इसके बाद गेट लगाने का काम बाकी रहता। जल संसाधन विभाग के तत्कालीन ईई विष्णु चंद्राकर ने बताया कि यह एक बड़ी परियोजना है। जिससे पिथौरा ब्लॉक के किसानों को फायदा होता। 25 साल पहले कांग्रेस के शासनकाल में क्षेत्र के लोकसभा सांसद स्व.विद्याचरण शुक्ल के प्रयासों से इस परियोजना को सफलता मिली थी। स्वीकृति के बाद सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया था, लेकिन डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा के सीमावर्ती इलाके के साथ जंगल का एक बड़ा क्षेत्र इसमें आ रहा था। 

लिहाजा परियोजना को लेकर ओडिशा सरकार ने केंद्रीय मंत्रालय में आपत्ति दर्ज करा दी थी। जिसके बाद जोंक परियोजना का कार्य स्थगित कर दिया गया था। इस परियोजना को संशोधित कर बैराज का रूप दिया गया और केंद्रीय मंत्रालय ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी। लेकिन यह मंजूरी भी काम नहीं आई। छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग मंत्रालय ने महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड की लोवर जोंक बैराज परियोजना के निर्माण के लिए 140 करोड़ 68 लाख 43 हजार रुपए की द्वितीय पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की थी। इस बैराज के निर्माण से 1980 हेक्टेयर में खरीफ में सिंचाई के लिए जलापूर्ति प्रस्तावित था।

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