दुर्ग
![भारती विवि में वेबीनार का आयोजन भारती विवि में वेबीनार का आयोजन](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719911506G_LOGO-001.jpg)
दुर्ग, 2 जुलाई। भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के फॉरेंसिक साइंस विभाग के तत्वावधान में वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार का शीर्षक ‘सर्पदंश में प्राथमिक चिकित्सा एवं आपातकालीन प्रबंधन’ था। मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ. हेमराज भियोगड़े, विभागाध्यक्ष अगदतंत्र विभाग, भारती आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय दुर्ग ने मुख्य वक्तव्य दिया। डॉ. भियोगड़े ने बताया कि भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां हैं, इनमें से केवल 15 जहरीले हैं। इन 15 प्रजातियों में से केवल चार- कोबरा, रसेल वाइपर, करैत और सॉ स्केल्ड वाइपर लगभग 98 प्रतिशत मौतों का कारण हैं। जहरीले सांप काटने से लकवा हो सकता है जो सांस लेने से रोक सकता है, रक्तस्राव विकार जो घातक रक्तस्राव, अपरिवर्तनीय किडनी फेल और ऊतक क्षति का कारण बन सकता है जो स्थायी विकलांगता और अंग विच्छेदन का कारण बन सकता है।
उन्होंने बताया कि सर्पदंश प्रभावित हिस्से को स्थिर करना और पीडि़त को शांत रखना महत्वपूर्ण प्रारंभिक कदम हैं। जैसे ही नजदीक के अस्पताल में आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रिया पूरी हो जाती है, रोगी को एंटी-वेनम और आईसीयू उपचार सुविधा वाले अस्पताल में स्थानांतरित करना अत्यंत आवश्यक है।
इस कार्यक्रम का संचालन फॉरेंसिक साइंस विभाग की विभागाध्यक्ष निशा पटेल ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन जयंत बारीक, सहायक प्राध्यापक, फॉरेंसिक साइंस विभाग द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में डीन अकादमिक डॉ. आलोक भट्ट, लाइफ विज्ञान संकाय की डीन डॉ. समन सिद्दीकी, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गुरु सरन लाल, रसायनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा कुरूप, डॉ. रंजना देवांगन, बीएससी व एमएससी फॉरेंसिक साइंस के विद्याथियों सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं की भागीदारी रही।