दुर्ग

श्रीमद्भागवत कथा में रामचरित्र व कृष्ण जन्म का वर्णन
30-Aug-2024 4:17 PM
श्रीमद्भागवत कथा में रामचरित्र व कृष्ण जन्म का वर्णन

दुर्ग, 30 अगस्त। परमेश्वरी भवन मोहलाई रोड में श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में चित्रकूट से पधारे भरतजी महाराज ने राष्ट्रीयता पर विशेष बल दिया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र है तभी हमारी अस्मिता और संप्रभुता है। इसलिए प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि राष्ट्र के प्रति निष्ठावान होना चाहिए निजी स्वार्थ को छोडक़र जब हम अपने देश के प्रति ईमानदारी से समर्पित होते हैं, तभी देश की सुरक्षा होती है वरना विदेशी आक्रांताओं और विधर्मियों के हम गुलाम हो जाते हैं।

राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा राम चाहते तो अयोध्या के राजा बनकर सभी सुख सुविधाओं का उपभोग करते लेकिन उन्होंने वन का मार्ग चुना, क्योंकि उनको लगा राष्ट्र और धर्म की संप्रभुता खतरे में है, रावण सुबाहु मारीच जैसे आतंकवादी देश के लिए खतरा बन रहे हैं तब उन्होंने धर्म की रक्षा की।

उन्होंने कहा कि जो अपने इतिहास से सबक नहीं लेता उसका निश्चित रूप से विनाश हो जाता है। भगवान कृष्ण के पावन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि जब कंस जैसे दुष्टों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर पहुंचा तो पृथ्वी और देवताओं के निवेदन करने पर भगवान बालक के रूप में प्रकट हुए।

 गीता के श्लोक यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत का संदर्भ देते हुए उन्होंने की परिमात्मा अपने द्वारा बनाई गई प्रकृति और प्रजा की रक्षा करने के लिए स्वयं प्रकट होते हैं।

 

जब-जब उनके अवतार की आवश्यकता होती है। उन्होंने कथा का आध्यात्मिक भाव बताते हुए कहा कि देवकी सद्बुद्धि है, वसुदेव मन है, जब दोनों का सम्मिलन होता है तो फिर आनंद रुपी परमात्मा प्रकट होता है और हमारे कष्टों का शमन होता है।

कन्हैया लाल की सुंदर झांकी का दर्शन करके श्रोतागण झूम उठे जय कन्हैया लाल की के नारो से पूरा प्रांगण गूंज उठा यजमान परिवार की तरफ से भगवान का प्रसाद और आरती की गई सभी श्रोताओं को प्रसाद वितरण किया गया।

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