महासमुन्द

कीचड़ से सराबोर कच्ची सडक़, चलना भी मुश्किल महासमुंद के आदिवासी बाहुल्य ग्राम चपिया का हाल
31-Aug-2024 2:22 PM
 कीचड़ से सराबोर कच्ची सडक़, चलना भी मुश्किल  महासमुंद के आदिवासी बाहुल्य ग्राम चपिया का हाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 31 अगस्त।
आजादी के 78 साल बीत गए, लेकिन महासमुंद जिले का आदिवासी बाहुल्य ग्राम चपिया सडक़, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सुविधाओं से कटा हुआ है। इस गांव को आज तक पक्की सडक़ नसीब नहीं हो पाई है। अत: ग्रामीण आज भी कीचड़ युक्त कच्चे मार्ग से होकर आवागमन करते हैं। गांव के किसानों को खाद लाना हो, या फिर बच्चों को स्कूल जाना हो, मरीजों को अस्पताल तक पहुंचना हो तो उन्हें बड़े ही मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है। 

चपिया गांव के ग्रामीणों के अनुसार-बरसात में चार पहिया वाहनों का पहुंचना नामुमकिन है। इस बार गांव के पंच गजानंद कश्यप, रूपसिंह, खेलसिंह कश्यप, अमृत लाल, सुरेंद्र, सेतलाल, गंगासागर, दिनेश जगत आदि ने बसना विधायक डॉ. संपत अग्रवाल को पत्र लिखकर सडक़ बनाये जाने की मांग की है। 

मिली जानकारी के अनुसार बसना विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत रूपापाली के आश्रित ग्राम चपिया एक आदिवासी बाहुल्य ग्राम है। यहां की आबादी करीब 5-6 सौ है। रूपापाली से चपिया की दूरी करीब 4 किलोमीटर है। वर्तमान में रूपापाली से चपिया तक कच्चा मार्ग है। जिसमें ग्रामीणों का आवागमन हो रहा है। 

बरसात में पूरा मार्ग कीचड़ से भर जाता है। पक्की सडक़ नहीं होने से सर्वाधिक परेशानी स्कूली बच्चों को होती है। यहां के बच्चों को मिडिल स्कूल की पढ़ाई के लिए रूपापाली एवं हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए भंवरपुर जाना पड़ता है। पक्की सडक़ नहीं होने से बच्चे कीचड़ से सराबोर मार्ग से होकर पैदल ही स्कूल जाते हैं। 

कक्षा छठवीं के बच्चे जिनकी उम्र महज 11-12 साल की होती है, उन्हें 4 किलोमीटर तक का सफ र कीचड़ के रास्ते ही पैदल चल कर तय करना होता है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में बहुत परेशानी होती है। 
पक्की सडक़ नहीं होने से गांव तक चारपहिया वाहन नहीं आ पाती है। अत: गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान महतारी एक्सप्रेस वाहन का लाभ भी नहीं मिल पाता।  ग्रामीणों का कहना है कि लोगों की सुविधा के लिए लागू की गई 112 और 108 डायल करने पर भी गाड़ी नहीं पहुंच पाती है। 

ग्राम चपिया से रूपापाली मनरेगा के तहत पहुंच मार्ग के निर्माण हेतु हलका पटवारी ने एक नजरी नक्शा 27 दिसंबर 2022 को तहसीलदार बसना के निर्देश पर तैयार किया था। 
लेकिन पक्की सडक़ तो दूर ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मुरमीकृत सडक़ भी नसीब नहीं हुई। 

ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन से कई बार सडक़ निर्माण हेतु मांग की गई। परंतु कोई भी सरकार उनकी मांग की ओर ध्यान नहीं दे रही है। शासन-प्रशासन से गांव वालों का एक सवाल है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल में प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना एवं राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत ग्राम चपिया व तक पक्की सडक़ क्यों नहीं बन पाई? 

बहरहाल, पीएम सडक़ योजना का क्रियान्वयन के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों तक चपिया के ग्रामीणों की आवाज नहीं पहुंची है और इस अब भी वे कच्चे सडक़ में दलदल के बीच सफर करने विवश हैं। 
 

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