रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 फरवरी। एम्स में यूनानी चिकित्सा दिवस पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस दौरान बताया गया कि यह चिकित्सा पद्धति, मॉडर्न लाइफ स्टाइल संबंधी बीमारियों को ठीक करने में काफी कारगर है। इस अवसर पर इसे सम्मिलित चिकित्सा पद्धति के रूप में एलोपैथी के साथ प्रयोग करने और अनुसंधान के माध्यम से इसकी उपयोगिता को सभी तक पहुंचाने का आव्हान किया गया।
एम्स निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति लगातार लोकप्रिय हो रही है। इसके उपचार के लिए निरंतर रोगी एम्स में संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न यूनानी थैरेपी के माध्यम से लाइफ स्टाइल संबंधी रोगों को दूर करने में यूनानी पद्धति की उपयोगिता को बताते हुए इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) असीम अली खान ने एलोपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति के संयुक्त प्रयोग पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न बीमारियों को एलोपैथी के माध्यम से डाइग्नोस कर यूनानी दवाइयों से इनका उपचार किया जा सकता है। उन्होंने इस दिशा में निरंतर अनुसंधान कर इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन, बेंगलुरू के निदेशक डॉ. अब्दुल वदूद् ने एनआईयूएम में चल रहे अनुसंधान के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इसका लाभ एम्स के माध्यम से छत्तीसगढ़ के रोगियों तक पहुंचाने को कहा। एएमयू के यूनानी विभाग के प्रो. कुंवर मोहम्मद यूसूफ अमीन ने यूनानी चिकित्सा पद्धति को सस्ता, सुरक्षित और किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव से मुक्त बताया। उन्होंने यूनानी चिकित्सा के साहित्य को अन्य भाषाओं में अनुवादित करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए एम्स के मेडिकल ऑफिसर (यूनानी) डॉ. अदनान मस्तान ने बताया कि एम्स में लीच (जौंक), कपिंग (ड्राइ, वैट, ग्लाइडिंग और फायर मसाज) थैरेपी प्रदान की जा रही हैं। इनसे नस, हड्डी, त्वचा, लाइफ स्टाइल डिसआर्डर, बांझपन आदि का इलाज किया जा सकता है। कोविड में विभाग ने आयुष जोशांदा काढ़ा भी एम्स के कर्मचारियों को वितरित किया। एनआईयूएम के प्रो. अब्दुल नसीर अंसारी अंत में सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया।