रायपुर
बलरामपुर जिलाध्यक्ष ने पुरंदेश्वरी से कहा-विस चुनाव में अपेक्षित परिणाम मुश्किल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 14 फरवरी। भाजयुमो कार्यकारिणी की सूची जारी होने के बाद से पार्टी में बवाल मचा हुआ है। खबर है कि राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम, लता उसेंडी समेत कई नेताओं ने भाजयुमो की सूची पर अप्रसन्नता जताई है। एक शिकायत में तो यहां तक कहा गया कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपने रिश्तेदार से लेकर किराएदार तक को पदाधिकारी बना दिया। बलरामपुर जिला भाजपा अध्यक्ष ने तो प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी को ज्ञापन सौंपकर सूची बदलने की मांग कर दी है।
भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू के खिलाफ पार्टी के भीतर मोर्चा खुल गया है। पार्टी के सीनियर नेताओं ने कार्यकारिणी के नामों पर आपत्ति की है। यह कहा गया कि उनकी सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया। रामविचार नेताम, लता उसेंडी, पूर्व संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी सहित कई ने प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी से भाजयुमो कार्यकारिणी के नामों पर आपत्ति की है।
प्रदेश प्रभारी से कहा कि जिलों से नाम मंगाए गए थे, लेकिन इन नामों पर गौर तक नहीं किया गया। बलरामपुर जिलाध्यक्ष गोपालकृष्ण मिश्रा ने प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी से लिखित में शिकायत की है। शिकायत में उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष ने बलरामपुर में अपने रिश्तेदार को ही जिलाध्यक्ष बना दिया है।
उन्होंने बताया कि जिला संगठन ने भाजयुमो बलरामपुर जिलाध्यक्ष के लिए गौतम सिंह, दीपक जायसवाल, आनंद जायसवाल के नाम सुझाए थे। इसी तरह प्रदेश कार्य समिति के लिए नरेन्द्र अग्रवाल, अभिषेक गुप्ता, जितेन्द्र अग्रवाल और दीपक मित्तल के नाम की अनुशंसा की गई थी। परंतु इनमें से किसी को जगह नहीं दी गई। इससे युवाओं में गुस्सा है।
बलरामपुर जिलाध्यक्ष ने यहां तक कहा कि इससे 2023 के विधानसभा चुनावों में संगठन के अपेक्षानुरूप परिणाम आने में कठिनाई आएगी। जिला संगठन की सहमति के बिना ऐसी नियुक्तियां पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र के लिए खतरा है। जिससे जिला संगठन खुद को उपेक्षित और आहत महसूस कर रहा है।
यह भी कहा कि इस सिलसिले में सार्थक पहल करते हुए जिला संगठन से भेजे गए पैनल में से किसी योग्य युवा को नेतृत्व दिया जाए, ताकि संगठन को मजबूती प्रदान किया जा सके। चर्चा है कि युवा मोर्चा के प्रभारी अनुराग सिंहदेव और सह प्रभारी ओपी चौधरी ने भी इन नियुक्तियों पर नाराजगी जताई है। यह भी शिकायत हुई है कि अमित साहू ने अपने पुराने किराएदार को भी पदाधिकारी बना दिया है।
कार्यकारिणी में बदलाव के लिए काफी दबाव भी है। हालांकि यह कहा जा रहा है कि महामंत्री (संगठन) पवन साय की सहमति के बाद ही सूची जारी की गई है। यह कहा जा रहा है कि सूची में बदलाव नहीं होने पर स्थानीय स्तर पर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। भाजपा के एक जिलाध्यक्ष ने यहां तक कह दिया है कि वे भाजयुमो के पदाधिकारी को बैठक में नहीं बुलाएंगे। बहरहाल, प्रदेश प्रभारी के रूख पर निगाहें टिकी हुई हैं।