बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ की खबर का असर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 24 फरवरी। बलौदा बाजार नगर समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों के भूजल स्तर का मुख्य स्रोत छुईहा जलाशय को जनपद पंचायत बलौदा बाजार द्वारा दस वर्षों के लिए मत्स्य पालन के लिए लीज पर दिए जाने का समाचार ‘छत्तीसगढ़’ में प्रकाशन होने के बाद पर्यावरणप्रेमियों ने इस बाबत जिलाधीश के समक्ष आपत्ति दर्ज कराते हुए इस निविदा को तत्काल रद्द कराए जाने की मांग की। लोगों की आपत्ति को देखते हुए इस संबंध में जिलाधीश ने जनपद पंचायत सीईओ को निर्देशित किया, जिसके बाद अब जनपद पंचायत से भी जल्द ही उक्त निविदा को रद्द किए जाने की बात कही गई है।
ग्रामीणों व नगरवासियों में था रोष
विदित हो कि नगर सीमा के समीप छुईहा जलाशय को बीते दिनों मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यालय जनपद पंचायत बलौदा बाजार द्वारा दस वर्षों के लिए मछली पालन के लिए लीज में दिए जाने की सूचना जारी की गई थी, जिसको लेकर ग्रामीणों व नगर के लोगों में आक्रोश व्याप्त था। नगर के भूजल स्तर के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण छुईहा जलाशय को लीज पर देने का नगरवासियों ने कड़ा विरोध किया था। जन आक्रोश को देखते हुए ‘छत्तीसगढ़’ में 20 फरवरी के अंक में ‘छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए लीज पर देने का विरोध’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसके बाद वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी और अरण्यक संघ छत्तीसगढ़ के सदस्यों निखिलेश त्रिवेदी, नीलम दीक्षित, दिनेश ठाकुर, प्रवीण सिंह, शैलेश ऋषि, शैलेश गुप्ता, अनादि शंकर मिश्रा, रूपेश ठाकुर, ज्ञानेंद्र पांडे, गौरव निहलानी, यश शुक्ला, दीपेंद्र धर दीवान, अरुण प्रसाद आदि द्वारा कलेक्टर सुनील कुमार जैन को लिखित रूप से ज्ञापन दिया गया।
जलसंकट में एकमात्र है सहारा
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से बताया गया कि प्रतिवर्ष छुईहा जलाशय बलौदा बाजार का एकमात्र ऐसा जलाशय है जहां सुदूर साईबेरिया व उत्तर मध्य एशिया तथा यूरोपीय देशों से हजारों प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है, जिसकी चर्चा पूरे भारत में प्रकृति प्रेमियों के बीच होती है। छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए बीज व जाल डालने से प्रवासी पक्षियों का डेरा स्थायी रूप से उजडऩे का गंभीर खतरा है। वहीं, मछलियों के चारे के लिए डाले जाने वाले खाद्य पदार्थों से भी जलाशय के प्रदूषित होने तथा प्रवासी पक्षियों के जीवन को खतरे की आशंका है। छुईहा जलाशय से प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में नगर समेत के सभी निस्तारी तालाबों को भरा जाता है। मछली पालन होने से बांध के जल को हर बार मछली ठेकेदारों द्वारा खाली करके व्यर्थ बहा दिया जाता है जिससे नगर का भूजल स्तर ग्रीष्मकाल मं घट जाता है तथा नगरवासियों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ता है। पर्यावरणप्रेमियों ने इस बाबत जिलाधीश को सभी तथ्यों से अवगत कराते हुए लिखित ज्ञापन देकर इस निविदा को तत्काल रद्द कराए जाने की मांग की।
सामान्य सभा में रखा जाएगा प्रस्ताव
जनपद पंचायत बलौदा बाजार कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद अब छुईहा जलाशय को मछली पालन के लिए ठेके पर दिए जाने की निविदा को अब रद्द किया जाएगा। नियमानुसार इस प्रस्ताव को सामान्य सभा में रखा जाएगा तथा उसके बाद उसे कैंसल कर दिया जाएगा।
पूरे क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है छुईहा जलाशय
नगर तथा क्षेत्र के भूजल स्तर के लिए सबसे बड़ा सहायक बलौदा बाजार जलाशय यानि छुईहा जलाशय है। लगभग 1905 में ब्रिटिशकालीन समय में निर्मित छुईहा जलाशय से निकली नहर जो पूरे बलौदा बाजार शहर से गुजरते हुए आसपास के ग्रामों तक जाती है। इस नहर से बलौदा बाजार के साथ ही साथ परसाभदेर, चरौटी, पहंदा, खैरघटा, सोनपुरी, छईहा आदि ग्रामों के पंजीकृत 1700 किसानों को कृषि कार्यों के लिए पानी दिया जाता है जिससे लगभग 1800 एकड़ भूमि को लाभ मिलता है। वहीं बलौदा बाजार की लगभग 678 एकड़ भूमि को कृषि कार्यों के समय इसी नहर से पानी मिलता है। ब्रिटिशकाल के दौरान ही छुईहा जलाशय को बहुउपयोगी बनाने के लिए आसपास के ग्रामीण इलाकों के साथ ही साथ जलाशय से निकली नहर से बलौदा बाजार के सात से आठ तालाबों को भरने की प्राचीन व्यवस्था की गई थी। वर्तमान में भी ग्रीष्मकाल में जब गंगरेल से बीबीसी में पानी छोड़ा जाता है तो छुईहा जलाशय को भरकर जलाशय से निकली नहर के माध्यम से नगर के सभी तालाबों को भरा जाता है।