राजनांदगांव
भामसं ने रैली निकालकर बोला हल्ला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 फरवरी। भारतीय मजदूर संघ के आह्वान पर गुरुवार को प्रदेशभर के सभी जिला केन्द्रों में श्रमिक के कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने के विरोध में श्रम विभाग के कार्यालयों में हल्ला बोला गया, रैली निकाली गई तथा मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री के नाम 12 सूत्रीय मांगपत्र भेजा गया।
श्रमिक नेता योगेशदत्त मिश्रा ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते कहा कि दस लाख से ऊपर के समस्त निर्माण कार्यों, चाहे वह निजी क्षेत्र के हो या सरकारी क्षेत्र के इसमें मजदूर कल्याण के लिए एक प्रतिशत टैक्स लिया जाता है, जो कर राज्य सरकार द्वारा गठित वेलफेयर बोर्ड में जमा होता है और उन पैसों से निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की योजनाओं का संचालन किया जाता है। यहां पर यह उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का इस संदर्भ में स्पष्ट दिशा-निर्देश है कि श्रमिक कल्याण की इन राशियों का उपयोग निर्माण मजदूरों की संचालित योजनाओं पर ही खर्च किया जाए, किन्तु राज्य की भूपेश बघेल सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन कर योजनाओं की राशि को अन्य विभागों में स्थानांतरित कर रही है, यह गंभीर मामला है। इस पर संज्ञान लिया जाना चाहिए, उस पर तुर्रा यह है कि राज्य सरकार ने श्रमिक कल्याण की एकाध योजनाओं को छोडक़र शेष सारी योजनाओं पर ताला लगा दिया है। जिससे राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के कटघरे में भी खड़ी हो गई है। जिसके गंभीर नतीजे होंगे अन्यथा राज्य सरकार जन्म से लेकर मृत्यु तक पूर्व से चली आ रही सभी योजनाओं को तत्काल प्रारंभ करें।
ज्ञापन में बंद की गई योजनाओं को तत्काल प्रारंभ करने श्रम विभाग में लंबित योजनाओं के तत्काल निराकरण की मांग, निरस्त की गई योजनाओं का पुन: लाभ देने, पंजीयन प्रक्रिया को सरल करने, सभी जिलों में भगिनी प्रसुति छात्रवृत्ति, औजार उपकरण, सिलाई मशीन, दुर्घटना मृत्यु योजनाओं के तत्काल निराकरण की मांग की गई। इसी प्रकार निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के पंजीयन कार्ड में सुधार की मांग, कोविड-19 महामारी के कारण पंजीकृत मजदूरों को नगद सहायता राशि प्रदान करने, मृत्यु सहायता योजना में पूर्व की भांति एक वर्ष की अवधि तक आवेदन करने, भगिनी प्रसूति योजना का आवेदन एक बार जन्म के समय लेने, विवाह योजना पुन: प्रारंभ करने तथा मजदूर संघ द्वारा सत्यापित नियोजक प्रमाण पत्र को स्वीकार करने सहित अन्य अनेक मांगों का समावेश किया गया।
आंदोलन में विष्णु साहू, पुनाराम वर्मा, मीनाक्षी टेम्बुरकर, नरेशराम साहू, गजानंद मिश्रा, कुहुक दास, सूरजभान साहू, हेमंत, चंद्रशेखर, लोकेश, देवलाबाई, भानु यादव सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।