राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 फरवरी। नियोक्ता के गलती से किए गए अधिक भुगतान की वसूली तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कार्यरत कर्मचारी, सेवानिवृित्त प्राप्त एवं सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों से नहीं करने सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रेविएन्सेस एंड पेंशन्स, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग, भारत सरकार के कार्यालय ज्ञापन (आदेश) भारत सरकार के सभी विभागों उपक्रमों को 2 मार्च 2016 को जारी किया गया है। आदेश के पालन के लिए सभी राज्य शासन को पृष्ठांकन किया गया था, किन्तु कार्यालयों द्वारा अधिक भुगतान की वसूली आदेश जारी हो रहा है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं प्रांतीय महामंत्री सतीश ब्यौहरे ने बताया कि तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी, एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों से पांच वर्ष पूर्व हुए अधिक भुगतान के वसूली आदेश, कर्मचारी को उच्च पद के सेवा के एवज में किए गए भुगतान की रिकवरी को सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट ऑफ पंजाब एवं अन्य विरूद्ध रफीक मसीह एवं अन्य के प्रकरण सीए नंबर 11527 वर्ष 2014, अराईजिंग आउट ऑफ एसपीएल (सी) नंबर 11684 वर्ष 2012, के पारित आदेश में कर्मचारी को हुए अधिक भुगतान के वसूली आदेश को अन्याय, कठोरतापूर्ण एवं मनमानी कार्रवाई माना है।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश 18 दिसंबर 2014 में उल्लेख है कि कर्मचारी को सक्षम अधिकारी द्वारा दिए गए परिलब्धियों के लिए कर्मचारी दोषी नहीं है, यदि कर्मचारी द्वारा गलत जानकारी नहीं दिया गया हो। सक्षम अधिकारी के अनैच्छिक गलती अथवा जानकारी के गलत व्याख्या के फलस्वरूप दिया गया अधिक परिलब्धियों अथवा भुगतान कर्मचारी को किया गया है तो ऐसे मामले में कर्मचारी मासूम है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के आर्टिकल-142 के अधिकार क्षेत्र के तहत कर्मचारी को अधिक भुगतान के वसूली से मुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिक भुगतान के वसूली आदेश को भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन माना है। फेडरेशन ने राज्य शासन से सभी कार्यालयों के सक्षम अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश प्रसारित करने का आग्रह किया है।