राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 मार्च। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के स्वशासी विस्तार के लिए यूजीसी द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति ने निरीक्षण-मूल्यांकन कर अपना प्रतिवेदन यूजीसी को भेज दिया है। इस प्रतिवेदन के आधार पर ही महाविद्यालय को अगले पांच वर्षों के लिए पुन: स्वशासी अधिकार मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इतिहासकार डॉ. एके मित्तल कुलपति बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय लखनउ की अध्यक्षता में गठित इस समिति में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय भोपाल के भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार सिंह और यूजीसी को-ऑर्डिनेटर अशोक कुमार गर्ग शामिल थे। क्षेत्रीय अपर संचालक उच्च शिक्षा डॉ. सुशीलचंद्र तिवारी छत्तीसगढ़ शासन की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
इस संबंध में प्राचार्य डॉ. बीएन मेश्राम ने बताया कि महाविद्यालय के स्वशासी विस्तार के लिए यूजीसी द्वारा गठित समिति ने दो दिन तक महाविद्यालय के विगत पांच वर्षों की उपलब्धियों का अवलोकन और मूल्यांकन किया है। इस मूूल्यांकन में अध्ययन, अध्यापन तथा अनुसंधान सहित परिसर विस्तार, छात्रावास, खेल मैदान, व्यायामशाला, प्रयोगशाला, ग्रंथालय, रोजगार एवं प्लेसमेंट, कौशल प्रशिक्षण और नूतन तकनीक से युक्त अध्यापन शैली की गतिविधयां शामिल थी। साथ ही स्वशासी निकाय के अधीन संचालित परीक्षा प्रणाली और उसकी वित्तीय व्यवस्था से संबंधित कार्यप्रणाली का मूल्यांकन किया गया है।
उन्होंने बताया कि यूजीसी समिति ने महाविद्यालय के दो दिवसीय अवलोकन में शैक्षणिक एवं कार्यालयीन स्टॉफ सहित एल्युमनी, जनभागीदारी समिति तथा छात्र-छात्राओं से अलग-अलग मुलाकात कर महाविद्यालय की गतिविधियों का मूल्यांकन किया है।
एल्युमनी सदस्यों में पूर्व प्राचार्य डॉ. हेमलता मोहबे, जनभागीदारी समिति अध्यक्ष रईस अहमद शकील, आनंद सारथी, रशीद खान, शारदा तिवारी, वर्षा अग्रवाल, इब्राहीम भाई, सूरज खंडेलवाल, विकास गजभिये, अरविन्द ठक्कर, डॉ. एएन माखिजा, आलोक जोशी, डॉ.कैलाश देवागन, डॉ.बीएन जागृत आदि उपस्थित थे। समिति के महाविद्यालय परिसर में उपस्थिति के समय पारंपरिक ढंग से एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देकर तथा शंखनाद कर स्वागत किया गया। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने समिति के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।