महासमुन्द
महासमुन्द, 6 मार्च। प्रसिद्घ उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु को उनके जन्मशताब्दी वर्ष पर आस्था साहित्य समिति महासमुन्द ने स्मरण किया। लोक संवेदना विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुन्द में साहित्यकार एस चंद्रसेन की अध्यक्षता में की गयी।
इस अवसर पर आस्था साहित्य समिति अध्यक्ष एवं प्रसिद्घ साहित्यकार आनंद तिवारी पौराणिक ने कहा कि लोक भाषा का जीवन्त रूप रेणु के साहित्य को प्राणवान बना देता है। उनके साहित्य में मानवता की खोज का संकल्प है। साहित्यकार एस.चंद्रसेन ने कहा कि रेणु जी ने अपने साहित्य में लोक संवेदनाओं को जो स्थान दिया, ग्रामीण अंचल में नारियों, आदिवासियों एवं विविध कुरीतियों का जो मार्मिक चित्रण किया, वह आज के समय में प्रासंगिक है।
साहित्यकार डॉ. साधना कसार ने उनकी प्रसिद्घ कहानी संवदिया के नारी अन्र्तद्वन्द एवं मार्मिक चित्रण का उल्लेख किया। साहित्य जगत में फणीश्वर नाथ रेणु की अमरता को बताते हुये सरिता तिवारी ने कहा कि रेणु जी ने आंचलिकता के रंगों से उपन्यास को अपने अनुभवों द्वारा सजाया है। उन्होंने कहा कि मैला आंचल इसका जीवंत उदाहरण है । इस अवसर पर प्रसिद्घ लघुकथाकार महेश राजा ने उनके जीवन दर्शन एवं संघर्ष पर विचार उकेरते हुये उन्हें स्मरण किया। साहित्यकार उमेश भारती गोस्वामी, टेकराम सेन चमक ने अपनी विचार रखते हुये कहा कि फणीश्वर नाथ रेणु प्रेमचंद के बाद साहित्य जगत के प्रसिद्घ उपन्यास, कहानी एवं लोक जीवन को रेखांकित करने वाले सशक्त हस्ताक्षर है। मैला आंचल, रसप्रिया, आदिम रात्रि की महक, लालपान की बेगम जैसे कृतियां रेणु को अलग पहचान दिलाती हैं।
उन्होंने कहा कि श्री रेणु आत्म स्वाभिमान के साथ साहित्य जगत को प्रेरित करने वाला कार्य किया है। मैला आंचल प्रसिद्घ उपन्यास के कारण मिलने वाले पदम श्री जैसे सम्मान भी उन्होंने लौटा दिया। इस अवसर पर कमलेश पांडे, सुजाता विश्वनाथन ने भी गोष्ठी में हिस्सा लिया। साहित्य प्रेमी एवं शिक्षाविद के.आर. चंद्राकर ने कहा कि आस्था साहित्य समिति के इस तरह विविध साहित्यिक आयोजन से साहित्य प्रेमियों में उत्साह का संचार हुआ है। कार्यक्रम का संचालन अपने अनूठे अंदाज में कमलेश पाण्डेय एवं आभार प्रदर्शन एम.आर. विश्वनाथन ने किया।