बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 10 मार्च। सौ अटल आवासों में 70 में से अधिकांश ने अपने आवास किराए पर चढ़ा दिए हैं और 30 पर लोग बलात कब्जा कर चुके हैं। इधर इन आवासों से नगर पालिका की 30 लाख की वसूली लंबित है और उसे पता ही नहीं है कि कई अटल आवासों पर अवैध कब्जाधारी काबिज हैं।
इस मामले में राजेश्वरी पटेल, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, बलौदाबाजार का कहना है कि अटल आवास के मकानों पर कब्जे का मामला आपके माध्यम से संज्ञान में आया है। राजस्व विभाग में प्रतिवेदन देकर जानकारी ली जाएगी। इसके बाद अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। योजना की दुकानों पर आए फैसले के बाद अतिक्रमणकारी पुन: हाईकोर्ट से स्थगन आदेश ले आए हैं, इसलिए कार्रवाई रुकी हुई है।
बलौदाबाजार नगर पालिका में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत बनाई गई 14 दुकानों को अतिक्रमणकारियों से 9 साल बाद भी शासन मुक्त नहीं करा पाया है, वहीं अटल आवास में भी 7 साल पहले अतिक्रमणकारियों के ताला तोडक़र किए गए कब्जे को भी खाली नहीं करा पाया है। नतीजा ये रहा कि जिला अस्पताल के ठीक सामने 2008-09 में बने 100 अटल आवास में से 30 आवासों पर बलात कब्जा कर लिया गया है। वर्ष 2011-12 में आबंटित किए गए 70 मकान जिन हितग्राहियों को विधिवत मिले थे, वे इन मकानों में खुद न रहकर दूसरों को हजार से लेकर 15 सौ रुपए तक किराए पर दे चुके हैं।
सिर्फ अटल आवास से ही 30 लाख रुपए वसूली के लंबित है
नगर पालिका पिछले 10 सालों से इन मकानों के अधिकांश हितग्राहियों से मासिक किराया ही नहीं वसूल पाई है। पिछले 10 सालों में पालिका को 100 मकानों से प्रतिमाह 300 रुपए के हिसाब से किराए के रूप में 36 लाख मिलने थे। अब तक सिर्फ 4 से साढ़े चार लाख रुपए ही मिल पाए हैं, यानी लगभग 30 लाख वसूली लंबित है।
कब्जाधारी हाईकोर्ट स्थगन ले आए, दो हितग्राहियों की मौत भी
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत नगर पालिका द्वारा 9 वर्ष पूर्व वन मंडलाधिकारी परिसर के सामने निर्मित 14 गुमटियों पर कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में सालों से चल रहे मामले में 12 फरवरी को फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने सचिव शहरी विकास विभाग, कलेक्टर बलौदाबाजार तथा मुख्य नगर पालिका अधिकारी बलौदाबाजार को 3 दिन के भीतर गुमटियों को खाली कराने का निर्देश देकर उन्हें वास्तविक हितग्राहियों को सौंपने को कहा था। हाईकोर्ट के नगर पालिका के पक्ष में फैसला होने के बाद भी नगर पालिका ने अतिक्रमणकारियों को 25 फरवरी को 3 दिन के अंदर दुकानें खाली करने का नोटिस जारी किया यानी नोटिस देने में ही 12 दिन का समय लगा दिया। इस बीच अतिक्रमणकारी हाईकोर्ट में पुन: याचिका दायर कर नगर पालिका की कार्रवाई पर स्थगन आदेश ले आए।
उल्लेखनीय यह भी है कि इन 14 दुकानों के वास्तविक हितग्राहियों में से कई विषम आर्थिक स्थितियों से जूझ रहे हैं। राजकुमार जायसवाल की मौत गरीबी के चलते इलाज के अभाव में हो गई तो दिव्यांग मनहरण पटेल की भी 4 साल पहले गरीबी के चलते इलाज के अभाव में मौत हो गई है।
कब्जाधारियों के हौसले बुलंद
2018-19 में तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी शीतल चन्द्रवंशी ने बिना आवंटन वाले 30 मकानों को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त कराकर ताला लगवा दिया था, मगर उनके स्थानांतरण के कुछ दिनों बाद ही स्थिति यथावत हो गई और अतिक्रमणकारियों ने ताला तोडक़र पुन: कब्जा कर लिया हैं।